
Interesting facts related to Kubera: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इसी दिन से 5 दिनों तक चलने वाला दिवाली उत्सव की शुरूआत होती है। धनतेरस से जुड़ी अनेक कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों में प्रचलित हैं। इस दिन रावण के एक भाई की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। रावण के ये भाई भगवान शिव के मित्र और धन का रक्षक हैं। आगे जानिए कौन हैं रावण के ये भाई…
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धनतेरस पर भगवान कुबेर की पूजा की जाती है जो रावण के भाई हैं। आपको ये सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन ये सच है। ऋषि विश्रवा की पहली पत्नी इडविडा से कुबेर का जन्म हुआ और दूसरी पत्नी कैकसी से रावण, विभीषण, कुंभकर्ण और शूर्पणखा का। इस तरह कुबेर राक्षसों के राजा रावण के सौतेले भाई थे। यही कारण है कि रावण को ब्राह्मण कहा जाता है।
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मान्यता है कि कुबेर ने घोर तपस्या कर ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर लिया। जब ब्रह्मदेव प्रकट हुए तो उन्होंने कुबेर से वरदान मांगने को कहा। कुबेर ने दिक्पाल बनने का वरदान मांगा। ब्रह्मदेव ने कुबेर को उत्तर दिशा का दिक्पाल बना दिया और उत्तर दिशा का स्वामी। इसके बाद देवी लक्ष्मी ने भी प्रसन्न होकर उन्हें धन का रक्षक होने का वरदान दिया। धन के रक्षक होने के कारण ही धनतेरस पर कुबेर की पूजा की जाती है।
कुबेर के पूर्व जन्म की कथा शिव महापुराण में मिलती है। उसके अनुसार पूर्व जन्म में कुबेर एक चोर थे। एक दिन चोरी करके वे एक शिव मंदिर में छिप गए। अंधेरा होने के कारण उन्होंने वहां अपने कपड़े जलाकर उजाला कर दिया। भगवान शिव ने इसे अपनी पूजा समझकर उन्हें अगले जन्म में धनपति होने का वरदान दे दिया।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण से पहले लंका पर कुबेर का अधिकार था। जब रावण विश्व विजय पर निकला तो उसने अपने ही भाई कुबेर पर आक्रमण कर दिया। रावण की शक्तियों के आगे कुबेर की एक न चली और उन्हें लंका छोड़कर वहां से जाना पड़ा। इसके बाद ही लंका पर रावण को राज हुआ। पुष्पक विमान भी रावण ने कुबेर से ही छिना था।
महाभारत में भी कुबेरदेव की कथा है। उसके अनुसार, वनवास के दौरान एक दिन भीम गंधमादन पर्वत पर पहुंच गए। वहां कुबेरदेव की अलकापुरी नाम की एक नगरी थी। जब कुबेरदेव के सैनिकों ने वहां एक मनुष्य को देखा तो उन्होंने भीम पर हमला कर दिया। भीम ने सभी का वध कर दिया। कुबेरदेव को जब ये बात पता चली तो वे बहुत क्रोधित हुए, लेकिन युधिष्ठिर को देखकर उनका क्रोध शांत हो गया। पांडवों ने वह रात कुबेर के महल में ही बिताई।