
Diwali Par Kitne Deepak Jalaye: कार्तिक मास की अमावस्या तिथि बहुत ही खास होती है क्योंकि इसी तिथि पर हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली मनाई जाती है। इस पर्व से अनेक मान्यताएं जुड़ी हैं। कहते हैं कि इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन में से प्रकट हुई थी। इसलिए दीपावली पर देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। लक्ष्मी पूजन में दीपक भी जलाएं जाते हैं। इन दीपकों की संख्या कितनी होनी चाहिए, जानें उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से…
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दीपावली पर लक्ष्मी पूजा में दीपक विशेष रूप से जलाए जाते हैं। इनकी संख्या को लेकर वैसे तो किसी धर्म ग्रंथ में कोई बात नहीं बताई गई है लेकिन विद्वानों का कहना है कि की संख्या 11, 21, 31 या 51 यानी विषम होनी चाहिए। इन संख्याओं के पीछे एक मनोवैज्ञानिक पक्ष ये भी है कि हिंदू धर्म में अंक 1 को शगुन के रूप में देखा जाता है जो वृद्धि का संकेत है।
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विद्वानों की मानें तो लक्ष्मी पूजा में दीपक की संख्या कभी भी 10, 20 या 30 नहीं होनी चाहिए क्योंकि इनके पीछे का अंक शून्य होता है जो की अपूर्णता और समाप्ति को दर्शाता है। सनातन धर्म में शून्य को शुभ अंक नहीं माना जाता। इसलिए 10 या 20 की संख्या से 1 ज्यादा दीपक भी लक्ष्मी पूजन में जलाना चाहिए।
मान्यता है कि त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम रावण का वध कर लौट रहे तो अयोध्या के लोगों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से दीपावली पर दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है। एक और मान्यता के अनुसार, अमावस्या की अंधेरी रात में देवी लक्ष्मी को हमारे घर आने में कोई दुविधा न हो। इसलिए भी ये दीपक घर के अलग-अलग स्थानों पर जलाए जाते हैं।
हिंदू धर्म में हर पूजा की शुरूआत दीपक जलाकर ही की जाती है। दीपक रोशनी का प्रतीक है जो अंधकार से प्रकाश की ओर जाने के लिए हमें प्रेरित करता है। दीपक हमें ये संदेश देता है कि स्वयं भले ही जलते रहो और दूसरों को प्रकाशित करते रहे। अमावस्या की अंधेरी रात में एक छोटा सा दीपक हमें अपने धर्म पर अडिग रहने की शिक्षा देता है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।