Dussehra 2025: इस गांव में हुआ था रावण का जन्म! दशहरे पर यहां नहीं जलाते पुतला, करते हैं पूजा

Published : Sep 26, 2025, 02:41 PM IST
Dussehra 2025

सार

Dussehra 2025: उत्तर प्रदेश में बिसरख नाम का एक गांव हैं। खास बात ये है कि यहां के लोगों का मानना है कि राक्षसों के राजा रावण का जन्म इसी गांव में हुआ था, इसलिए यहां दशहरे पर रावण का पुतला नहीं जलाते, बल्कि इसकी पूजा करते हैं।

Myths related to Ravana: इस बार दशहरा पर्व 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन देश के सभी हिस्सों में रावण के पुतलों का दहन बुराई के प्रतीक के रूप में किया जाता है लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां दशहरे पर रावण की पूजा की जाती है। ये जगह है उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर से पास स्थित बिसरख नाम। यहां के लोगों का मानना है कि रावण का जन्म इसी गांव में हुआ था। इसलिए यहां दशहरे पर रावण की पूजा की जाती है। आगे जानिए इस मान्यता से जुड़ी रोचक बातें…

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रावण के पिता के नाम पर बसा है ये गांव

स्थानीय लोगों का कहना है कि रावण के पिता विश्रवा नाम के मुनि थे। वे इसी स्थान पर निवास करते थे और उन्हीं के नाम पर इस गांव का पड़ा। कालांतर में ये नाम बदलकर बिसरख हो गया। रावण और उसके भाई-बहनों का जन्म भी इसी स्थान पर हुआ था। रावण ने भी इसी स्थान पर शिक्षा प्राप्त की। इसलिए यहां के लोग रावण को गांव का बेटा मानते हैं।

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इसलिए नहीं करते रावण के पुतले का दहन

ऐसी मान्यता है कि कईं दशक पहले तक इस गांव में भी हर साल दशहरे के मौके पर रावण के पुतलों का दहन होता था लेकन एक बार किसी हादसे में कईं लोगों की मौत हो गई। तब गांव के लोगों ने विधि-विधान से रावण की पूजा की और ये तय हुआ कि आज के बाद गांव में कहीं भी रावण के पुतलों का दहन नहीं किया जाएगा। तभी से दशहरे पर रावण के पुतलों का दहन न करते उसकी पूजा की परंपरा यहां की जा रही है।

रावण ने की थी शिवलिंग की स्थापना

ऐसी मान्यता है कि बिरसख के नजदीक हिंडन नदी के तट पर स्थित दुधेश्वर नाथ शिवलिंग की स्थापना स्वयं रावण ने की थी। इसी जगह रावण भगवान शिव की आराधना किया करता था। सिर्फ इतना ही नहीं इस स्थान पर अब तक खुदाई के दौरान अनेक शिवलिंग पुरातत्व विभाग को मिले हैं जो सभी अष्टकोणीय हैं। ऐसा शिवलिंग अन्य किसी स्थान पर देखने को नहीं मिलते।

लोगों ने बनाया रावण का मंदिर

इस गांव को रावण का जन्मस्थान जरूर कहा जाता है लेकिन कुछ समय पहले तक यहां रावण का कोई मंदिर नहीं था। बाद में कुछ लोगों ने मिलकर जनसहयोग से यहां रावण के मंदिर बनवाया। दशहरे के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। समय-समय पर यहां धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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