कैसे हुआ श्रीगणेश का जन्म, कौन लेकर आया इनके लिए हाथी का सिर? जानें गणेश चतुर्थी की कथा

Ganesh Chaturthi Ki Katha: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 19 सितंबर को है। भगवान श्रीगणेश का मस्तक हाथी का है, ये बात तो हम सभी जानते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी की पूरी कथा बहुत कम लोग जानते हैं।

 

उज्जैन. इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन घर-घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। श्रीगणेश एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनके धड़ के ऊपर किसी पशु का मस्तक है यानी हाथी का। ऐसा क्यों है, किन कारणों के चलते श्रीगणेश के धड़ पर हाथी का मस्तक लगाया गया है। इस बारे में बहुत कम लोगों को पता है। आगे जानिए गणेश चतुर्थी की पूरी कथा क्या है…

कैसे हुआ श्रीगणेश का प्राकट्य? (How was Shri Ganesh born?)
गणेश पुराण के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने स्नान करने के लिए उबटन बनाया। बाद में उसी उबटन से देवी पार्वती ने एक सुंदर पुतले का निर्माण किया और अपनी शक्तियों से उसमें प्राण डाल दिए थे। प्राण आते ही वह पुतला सजीव हो गया। माता पार्वती ने उसका नाम गणेश रखा और उसे अपना पुत्र के रूप में स्वीकार किया। देवी पार्वती ने कहा कि'तुम मेरे पुत्र हो और इसलिए मेरी ही आज्ञा का पालन करोगे।’ ये बोलकर देवी पार्वती स्नान करने चली गईं और गणेशजी से कहा कि किसी को भी अंदर मत आने देना।

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क्यों महादेव ने काटा गणेश का मस्तक? (Why did Lord Shiva cut off Ganesha's head?)
कुछ देर बाद जब भगवान शिव वहां आए तो गणेशजी ने उन्हें भी बाहर ही रोक दिया और अंदर नहीं जाने दिया। भगवान शिव ने गणेश को बहुत समझाया लेकिन वे माता की आज्ञा का पालन कर रहे थे। पहले शिवजी ने अपने गणों को श्रीगणेश से युद्ध करने भेजा। उन सभी की गणेशा ने खूब पिटाई की। क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश का मस्तक काट दिया।

कौन लेकर आया था हाथी का सिर? (Who brought the elephant's head?)
जब देवी पार्वती ने ये देखा तो वह रोने लगीं। माता पार्वती की ये स्थिति देख अन्य देवी-देवता भी दुखी हो गए। तब भगवान शिव ने कहा कि किसी अन्य पशु का मस्तक लाकर अगर गणेश के मस्तक पर लगाया जाए तो ये फिर से जीवित हो सकते हैं। तब भगवान विष्णु जंगल से हाथी का मस्तक काटकर लाए और उसे गणेश के धड़ के ऊपर स्थापित कर दिया। ऐसा होते ही गणेश जीवित हो गए। हाथी का सिर होने के कारण ही इन्हें गजानन भी कहते हैं।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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