Kushgrahani Amavasya 2023 Date: धर्म ग्रंथों में अमावस्या को बहुत ही विशेष तिथि माना गया है। इस तिथि के स्वामी पितृ देवता हैं। अमावस्या तिथि पर कईं बड़े व्रत-त्योहार भी मनाए जाते हैं। इस दिन पितृ शांति के लिए उपाय करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को कुशग्रहणी अमावस्या (Kab hai Kushgrahani Amavasya 2023) कहते हैं। कुछ ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। इस बार भाद्रपद मास की अमावस्या 2 दिन रहेगी- 14 व 15 सितंबर को। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 14 सितंबर, गुरुवार को अमावस्या से संबंधित पूजा-पाठ व स्नान-दान करना शुभ रहेगा। आगे जानिए इसे कुशग्रहणी अमावस्या क्यों कहा जाता है…
इसलिए कहते हैं कुशग्रहणी? (Kushgrahani Amavasya 2023)
भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी कहा जाता है, इसके पीछे एक कारण है, वो ये है कि इसी दिन वर्ष भर उपयोग में आने वाली कुशा नाम की एक विशेष घास को तोड़कर एकत्रित कर लिया जाता है। इस घास का उपयोग पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म आदि में विशेष रूप से किया जाता है। ग्रंथों के अनुसार…
पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।
कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया।।
(शब्दकल्पद्रुम)
अर्थ- प्रत्येक गृहस्थ को भाद्रपद मास की अमावस्या पर कुश का संचय (इकट्ठा) करना चाहिए। कुश से रहित पूजा का पूरा फल नहीं मिलता।
ये मंत्र बोलकर तोड़े कुशा
कुशा निकालने के लिए भाद्रपद मास की अमावस्या पर सूर्योदय के समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठकर यह मंत्र पढ़ें और दाहिने हाथ से एक बार में कुश उखाड़ें-
विरंचिना सहोत्पन्न परमेष्ठिन्निसर्गज।
नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव।।
कुशा घास का वैज्ञानिक महत्व
- अनेक धर्म ग्रंथों में कुशा घास का महत्व बताया गया है, बिना इसके पितृ कर्म नहीं किया जाता है। वैज्ञानिक रूप से भी ये घास काफी खास है। वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि कुशा घास विद्युत की कुचालक होती है।
- विद्युत की कुचालक होने के कारण ही इसका उपयोग आसन बनाने में किया जाता है और पूजा आदि सभी कर्मकांडों में इसी आसन पर बैठा जाता है ताकि पूजा से प्राप्त एनर्जी हमारे अंदर ही रहे, धरती में न समा जाए।
- वेदों में कुशा को तत्काल फल देने वाली औषधि, आयु की वृद्धि करने वाला और दूषित वातावरण को पवित्र करके संक्रमण फैलने से रोकने वाला बताया है। यही कारण है पूजा-पाठ आदि में कुशा का उपयोग किया जाता है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।