Mahakal Shahi Sawari 2023 Ujjain:मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित भगवान महाकालेश्वर का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां हर साल सावन-भादौ मास में भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। भगवान महाकाल की शाही सवारी 11 सितंबर को निकाली गई।
उज्जैन. देश भर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इनमें से महाकालेश्वर तीसरे स्थान पर है। ये ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में स्थित है। सावन और भादौ मास में भगवान महाकाल की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर सवारी निकाली जाती है। भादौ के दूसरे सोमवार को निकाली जाने वाली सवारी को शाही सवारी कहते हैं। इस बार शाही सवारी 11 सितंबर को निकाली गई।
10 रूपों में दर्शन दिए
शाही सवारी में भगवान महाकाल 10 स्वरूपों में अपने भक्तों को दर्शन दिए। सवारी में 10 बैंड के साथ-साथ 70 भजन मंडलियां शामिल थीं। सवारी के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। पालकी मंदिर से बाहर आने से पहले शहर के आला अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने भगवान चंद्रमौलेश्वर की पूजा की। शाम 4 बजे पालकी मंदिर से बाहर आई। यहां पुलिस जवानों ने महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। यहां से सवारी गुदरी चौराहा और कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंची। यहां पूजन के बाद भगवान महाकाल की पालकी विभिन्न मार्गों से होते हुए रात लगभग 10 बजे पुन: मंदिर परिसर में प्रवेश गई।
इसे क्यों कहते हैं शाही सवारी?
परंपरा के अनुसार, सावन के प्रत्येक सोमवार और भादौ के प्रथम 2 सोमवार को भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। भादौ के दूसरे सोमवार को निकाली जाने वाली सवारी अंतिम सवारी होती है। इस सवारी में भगवान महाकाल के सभी स्वरूपों को शामिल किया जाता है, साथ ही अन्य सवारियों के मुकाबले इसमें भजन मंडली, बैंड आदि की संख्या भी ज्यादा होती है। इस सवारी का मार्ग भी अन्य सवारियों की अपेक्षा बड़ा होता है, इसलिए इसे शाही सवारी कहते हैं।
कौन हैं वो 8 लोग, जिन्हें जीवित रहते हुए भी मरा हुआ ही समझना चाहिए?
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।