Goga Navmi 2023: गोगा नवमी 8 सितंबर को, क्यों मनाया जाता है ये पर्व? जानें इससे जुड़ी हर खास बात

Goga Navmi 2023: इस बार गोगा नवमी का पर्व 8 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। गोगादेव एक लोकदेवता हैं, जिनकी पूजा राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित कुछ अन्य प्रदेशों में मुख्य रूप से की जाती है।

 

Manish Meharele | Published : Sep 7, 2023 11:00 AM IST / Updated: Sep 08 2023, 08:18 AM IST

उज्जैन. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि (Goga Navmi 2023) पर गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 8 सितंबर, शुक्रवार को है। गोगादेव राजस्थान के लोकदेवता हैं, जिनकी पूजा मध्य प्रदेश सहित आस-पास के कुछ क्षेत्रों में भी की जाती है। मान्यता है कि गोगादेव की पूजा करने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है। गोगा नवमी पर राजस्थान के गोगामेड़ी नामक स्थान पर विशाल मेला भी लगता है। आगे जानिए कौन थे गोगादेव और गोगा नवमी से जुड़ी खास बातें…

जानिए कौन थे गोगाजी? (Know who was gogadev)
प्रचलित कथा के अनुसार, गोगादेवजी का जन्म राजस्थान के चौहान वंश में विक्रम संवत 1003 में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुर जेवरसिंह और माता का नाम बाछल कंवर था। गोगाजी गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य भी थे। गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। स्थानीय लोग इन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहर वीर नामों से पुकारते हैं।
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर राजस्थान के गोगामेढ़ी स्थान पर गोगादेव का मेला लगता है, जहां हिंदू मुस्लिम आदि सभी धर्म और संप्रदाय के लोग इनकी पूजा करते हैं। सैकड़ों वर्ष बीतने के बाद भी गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है और उनके घोड़े की रकाब अभी भी वहीं पर स्थित है।
इसी स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति स्थापित है। ऐसा कहते हैं कि जो व्यक्ति गोगादेव की पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति से करता है, उसे कभी सर्प भय नहीं रहता। नि:संतान दंपत्ति संतान सुख के लिए इनकी विशेष पूजा भी करते हैं।

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इस विधि से करें गोगादेव की पूजा (worship method of gogadev)
गोगा नवमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद गोगादेव की घोड़े पर सवार प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करें। सबसे पहले रोली, चावल, पुष्प, गंगाजल आदि चढ़ाएं। इसके बाद खीर, चूरमा, गुलगुले आदि का भोग लगाएं। चने की दाल गोगा जी के घोड़े पर श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। कुछ स्थानों पर सांप की बांबी की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से नागों के देव गोगा जी महाराज की पूजा करते हैं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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