ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए अनेक अवतार लिए, परशुराम अवतार भी इनमें से एक है। परशुराम का वर्णन रामायण के साथ-साथ महाभारत में भी मिलता है।
पुराणों के अनुसार, भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं और किसी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या कर रहे हैं। कलयुग के अंत में कल्कि अवतार के समय वे भी उनका साथ देंगे।
महाभारत युद्ध में अनेक पराक्रमी योद्धाओं ने भाग लिया था। इनमें से 3 योद्धा ऐसे थे जो परशुराम के शिष्य थे। इन तीनों ने ही युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। जानें कौन थे ये 3 योद्धा…
भगवान परशुराम के पहले शिष्य थे भीष्म पितामाह। इन्होंने युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। युद्ध में ये अर्जुन के हाथों घायल हो गए थे। युद्ध समाप्त होने के बाद इनकी मृत्यु हुई थी।
पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य ने भी भगवान परशुराम से ही शस्त्र विद्या सीखी थी। गुरु द्रोण ने भी युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। इनका वध पांडवों के सेनापति धृष्टद्युम्न ने किया था।
महारथी कर्ण भी भगवान परशुराम के ही शिष्य थे। गुरु परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया था कि युद्ध के समय वे शस्त्र विद्या भूल जाएंगे। इसी वजह से कर्ण युद्ध में अर्जुन के हाथों मारे गए।