कैसे एक राक्षस बन गया श्रीगणेश का वाहन? जानें ‘मूषकराज’ से जुड़े 2 रोचक किस्से

Interesting stories of Shri Ganesha: भगवान श्रीगणेश का वाहन चूहा क्यों है? इससे जुड़ी कईं रोचक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें मूषक का अभिमान और श्रीगणेश की दया का वर्णन मिलता है।

Manish Meharele | Published : Sep 10, 2024 3:59 AM IST / Updated: Sep 10 2024, 11:47 AM IST

Chuha Kaise Bana ganeshji Ka Vahan: भगवान श्रीगणेश का स्वरूप काफी विचित्र है जैसे उनका सिर हाथी का है, उनका बेट काफी बड़ा है। साथ ही उनका वाहन छोटा सा चूहा है। श्रीगणेश के भारी-भरकम शरीर के हिसाब से उनका वाहन चूहा मेल नहीं खाता। एक छोटा सा चूहा कैसे भगवान श्रीगणेश का वाहन बन गया, इससे जुड़ी कईं कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। गणेश उत्सव 2024 के मौके पर जाने इन रोचक कथाओं के बारे में…

राक्षस कैसे बना श्रीगणेश का वाहन?
किसी समय गजमुखासुर नाम का एक राक्षस था, उसे वरदान मिला था कि वह किसी अस्त्र से नहीं मर सकता। एक बार उसका और श्रीगणेश युद्ध हुआ। जब श्रीगणेश ने देखा कि गजमुखासुर पर कोई भी अस्त्र-शस्त्र असर नहीं कर रहा है तो उन्होंने अपने दांत से उस पर हमला किया। इससे गजमुखासुर घबरा गया और मूषक यानी चूहा बनकर भागने लगा। तब श्रीगणेश ने उसे अपने पाश में बांध लिया। मूषक बना गजमुखासुर श्रीगणेश से क्षमा मांगने लगा। तब श्रीगणेश ने उसे मूषक के रूप में ही अपना वाहन बनाकर जीवनदान दे दिया।

श्रीगणेश ने मूषक को कैसे बनाया अपना वाहन?
गणेश पुराण के अनुसार, ‘द्वापर युग में महर्षि पराशर नाम के एक तपस्वी ऋषि थे। उके बार उनके आश्रम में एक विशाल और शक्तिशाली चूहा यानी मूषक घुस आया। उसने आश्रम के मिट्टी के बर्तनों को तोड़ दिया और अनाज आदि सामग्री भी नष्ट कर दी। काफी प्रयास के बाद भी जब वो मूषक आश्रम से नहीं निकला तो महर्षि पाराशर ने भगवान श्रीगणेश से मदद मांगी।
श्रीगणेश महर्षि की मदद के लिए उनके आश्रम आए और मूषक को पकड़ने के लिए अपना पाश फेंका। मूषक उस पाश में फंस गया। खुद को मुसीबत में देख चूहा श्रीगणेश की स्तुति करने लगा। प्रसन्न होकर श्रीगणेश ने उससे वरदान मांगने को कहा। श्रीगणेश की बात सुनकर मूषक का अभिमान जाग उठा और उसने श्रीगणेश से कहा कि ‘आप मुझसे वरदान मांग लीजिए।’
तब श्रीगणेश ने कहा कि ‘तुम मेरे वाहन बन जाओ।’ मूषक ये बात मान गया। जैसे ही श्रीगणेश उसके ऊपर बैठे, वजन के कारण वह दबने लगा और उसका अभिमान भी दूर हो गया। तब मूषक ने श्रीगणेश से अपना भार कम करने की प्रार्थना की। श्रीगणेश ने ऐसा ही किया और इस तरह चूहा यानी मूषक गणेश जी का वाहन बनकर उनकी सेवा करने लगा।

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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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