Guru Purnima 2024: हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 21 जुलाई, रविवार को है। इस दिन गुरु पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, पांडवों के 2 गुरु आज भी जीवित हैं।
हिंदू धर्म में कईं तरह की मान्यताएं हैं। ऐसी ही एक मान्यता अष्ट चिरंजीवियों को लेकर भी है। अष्ट चिरंजीवियों यानी वो 8 महापुरुष जो कईं युगों से जीवित हैं। उन्हें इस पृथ्वी पर रहते हुए हजारों लाखों साल बीत चुके हैं। इन 8 महापुरुषों में पांडवों के 2 गुरु भी शामिल हैं। पांडवों के इन दोनों गुरु से जुड़ी कईं मान्यताएं भी हमारे समाज में प्रचलित हैं। गुरु पूर्णिमा के मौके पर जानिए कौन हैं पांडवों के वो गुरु जो आज भी जीवित हैं…
क्या है अष्ट चिरंजीवियों से जुड़ी मान्यता?
धर्म ग्रंथों में एक श्लोक मिलता है, उसमें 8 महापुरुषों के नाम है। श्लोक के आधार पर ये कहा जाता है कि ये 8 महापुरुष आज भी जीवित हैं और पृथ्वी पर अलग-अलग गुप्त स्थानों पर रहकर तपस्या कर रहे हैं। ये है वो श्लोक-
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थ- अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कडेंय ऋषि चिरंजीवी हैं। इन सभी का नाम लेने से व्यक्ति निरोगी रहता है और लंबी आयु प्राप्त करता है।
इनमें से कौन हैं पांडवों के गुरु?
इन 8 चिरंजीवियों में से महर्षि वेदव्यास और कृपाचार्य पांडवों के गुरु हैं जो आज भी जीवित हैं। खास बात ये है कि महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत ग्रंथ की रचना की है। महर्षि वेदव्यास सत्यवती के पुत्र और भीष्ण के भाई थे। उनका जन्म आषाढ़ मास की पूर्णिमा को होता है, उन्हीं के सम्मान में हर साल गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
पांडवों के कुलगुरु थे कृपाचार्य
महाभारत के अनुसार, पांडवों के कुलगुरु कृपाचार्य थे, जो साक्षात रुद्र के अवतार थे। कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा भी हैं। कृपाचार्य के पिता शरद्वान महान पराक्रमी थे। कृपाचार्य का पालन-पोषण महाराज शांतनु ने किया था। युवा होने से भीष्म ने इ्न्हें हस्तिनापुर का कुलगुरु बनाया था। महाभारत युद्ध में इन्होंने कौरवों का साथ दिया था।
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