गुरु को दक्षिणा देने के लिए यमराज से भिड़ गए श्रीकृष्ण, ऐसा क्या मांगा गुरु ने?

Guru Purnima 2024: भगवान श्रीकृष्ण ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपने गुरु को ऐसी दक्षिणा दी, जो आज तक कोई शिष्य अपने गुरु को नहीं दे पाया है। गुरु पूर्णिमा पर जानें श्रीकृष्ण और गुरु सांदीपनि की कथा।

 

Manish Meharele | Published : Jul 21, 2024 3:41 AM IST

Sandipani Ashram Ujjain: इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई, रविवार को है। इस दिन गुरु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। भगवान ने भी जब-जब धरती पर अवतार लिया, उन्होंने भी गुरु से ही शिक्षा पाई। इसलिए गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है। कंस का वध करने के बाद जब श्रीकृष्ण ने मथुरा को उसके आंतक से मुक्त किया था तो इसके बाद वे पढ़ाई के लिए उज्जियनी (वर्तमान उज्जैन) आए थे। यहां उन्होंने अपने गुरु को दक्षिणा में क्या दिया, आगे जानिए…

कौन थे भगवान श्रीकृष्ण के गुरु?
श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकष्ण और बलराम शिक्षा प्राप्त के लिए गुरु सांदीपनि के आश्रम में उज्जयिनी आए और कईं सालों तक यहां रहे। उज्जयिनी ही वर्तमान का उज्जैन है, जो क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है। यहां श्रीकृष्ण ने 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया। सुदामा से श्रीकृष्ण की दोस्ती भी यहीं हुई थी। भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भी इसी आश्रम में दिया था।

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श्रीकृष्ण ने गुरु दक्षिणा में क्या दिया?
जब श्रीकृष्ण-बलराम की शिक्षा पूरी हो गई और गुरु दक्षिणा देने की बात आई तो गुरु सांदीपनि ने उन्हें परंपरा के अनुसार दक्षिणा देने की बात कही। लेकिन श्रीकृष्ण ने कहा कि ‘इसके अतिरिक्त भी यदि आपको कुछ चाहिए तो संकोच मत कीजिए।’ तब गुरु सांदीपनि की पत्नी ने कहा कि ‘कईं सालों पहले मेरे पुत्र की अकाल मृत्यु हो चुकी है, यदि तुम उसे ला सको तो यही तुम्हारी गुरु दक्षिणा होगी।

श्रीकृष्ण ने किया पंचजन्य का वध
गुरु पुत्र को लाने के लिए श्रीकृष्ण समुद्र किनारे पहुंचें, जहां उनके पुत्र की मृत्यु हुई थी। श्रीकृष्ण ने समुद्र से गुरु पुत्र लौटाने को कहा। तब समुद्र ने कहा कि ‘पानी की गहराई में पंचजन्य नाम का एक राक्षस है, शायद उसी के पास गुरु सांदीपनि का पुत्र हो। तब श्रीकृष्ण ने पंचजन्य राक्षस का वध कर दिया। लेकिन गुरु पुत्र वहां भी नहीं मिला।

यमराज से भी भिड़ गए श्रीकृष्ण
समुद्र में भी गुरु पुत्र के न मिलने पर ब श्रीकृष्ण सीधे यमराज के पास पहुंचें और उनसे गुरु पुत्र को लौटाने को कहा। यमराज श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाए और उनसे युद्ध करने लगे। बाद में जब उन्हें श्रीकृष्ण की वास्तविकता का ज्ञान हुआ तो उन्होंने गुरु पुत्र को लौटा दिया। गुरु पुत्र को लेकर श्रीकृष्ण गुरु के पास पहुंचें और उन्हें दक्षिणा के रूप में उसे लौटा दिया।

उज्जैन में आज भी गुरु सांदीपनि का आश्रम
भगवान श्रीकृष्ण ने जहां शिक्षा प्राप्त की, गुरु सांदीपनि का वो आश्रम आज भी उज्जैन में मंगलनाथ मार्ग पर स्थित है। यहां प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं और अपना शीश झुकाते हैं। ये आश्रम लोगों की आस्था का केंद्र है। गुरु पूर्णिमा आदि मौकों पर यहां विशेष आयोजन भी किए जाते हैं। गुरु सांदीपनि का वंशज आज भी इस आश्रम में सेवा कर रहे हैं।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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