Kyo Manate Hai Harela: देश में कहां और क्यों मनाया जाता है हरेला उत्सव, कैसे मनाते हैं ये पर्व?

Harela 2023: हरियाली अमावस्या पर उत्तराखंड में हरेला पर्व मनाने की परंपरा है। स्थानीय मान्यता के अनुसार यहां इसी दिन से सावन मास का आरंभ माना जाता है। इस दिन लोग प्रकृति के निकट जाते हैं और बेहतर फसल और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

 

उज्जैन. भारत विविधताओं का देश है। यहां एक ही पर्व कई अलग-अलग नाम और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2023) भी एक ही एसा ही पर्व है। उत्तराखंड में ये पर्व हरेला (Harela 2023) के नाम से मनाया जाता है। इस बार हरेला पर्व 17 जुलाई, सोमवार को मनाय जाएगा। हरेला पर्व प्रकृति के निकट जाने और उसके प्रति सम्मान प्रकट करने का पर्व है। उत्तराखंड (Uttarakhand) के लोग इस दिन प्रकृति से सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। खास बात ये है कि यहां इसी दिन से सावन मास की शुरूआत मानी जाती है।

क्यों मनाते हैं हरेला पर्व? (Kyo Manate Hai Harela)
नाम से ही पता चलता है कि हरेला का अर्थ प्राकृतिक हरियाली से है। इस समय बारिश का मौसम रहता है। प्रकृति अपने आप को हरियाली में ढंक लेती है। दूर-दूर तक लहलहाते पेड़-पौधे ही नजर आते हैं। हरेला पर्व से 9 दिन पहले यहां के लोग टोकरी में पांच या सात प्रकार के अनाज बोते हैं, जिसे हरेला के दिन काटा जाता है। ऐसी मान्यता है कि हरेला जितना बड़ा होगा, किसान को फसल में उतना ही ज्यादा फायदा होगा।

Latest Videos

भगवान शिव से जुड़ा है हरेला पर्व (Importance Of Harela)
हरेला पर्व भगवान शिव से भी जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड में इस पर्व को शिव-पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। देवभूमि उत्तराखंड को शिव भूमि भी कहा जाता है। यहां केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ ही पंचकेदार भी स्थित है। इस स्थान को महादेव की ससुराल भी कहा जाता है। यही कारण है कि यहां हरेला पर्व पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है ये पर्व
हरेला पर्व मुख्य रूप से प्रकृति से संबंधित है। इस पर्व के मनोवैज्ञानिक पक्ष को समझें तो पता चलता है कि इस दिन लोग प्रकृति के निकट जाते हैं और उसके प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हैं। इस दिन पौधारोपण भी विशेष रूप से किया जाता है। इसे प्रकृति के श्रंगार के तौर पर देखा जाता है। वर्तमान में हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ प्रदेशभर में मनाया जाने लगा है।

साल में कितनी बार मनाते हैं हरेला पर्व? (How many times in a year Harela festival is celebrated?)
हरेला उत्सव साल में एक नहीं तीन बार मनाया जाता है। यहां उत्तराखंड का लोकपर्व है। पहला हरेला उत्सव चैत्र मास में, दूसरा सावन मास में और तीसरा आश्विन महीने में मनाया जाता है। लेकिन इन सभी में सावन मास में मनाया जाने वाला हरेला उत्सव सबसे अधिक खास माना जाता है।


ये भी पढ़ें-

सोया भाग्य जगा सकते हैं ये पौधे, राशि अनुसार लगाएं हरियाली अमावस पर


Sawan 2nd Somvar 2023: इस ‘राजयोग’ से शुरू होगा सावन का दूसरा सोमवार, जानें अभिजीत मुहूर्त का समय और पूजा विधि


Somvati Amawasya 2023: ये हैं सोमवती अमावस्या के 4 शुभ मुहूर्त, इस ‘राजयोग’ में करें पूजा, जानें विधि और मंत्र भी


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
'भविष्य बर्बाद न करो बेटा' सड़क पर उतरे SP, खुद संभाला मोर्चा #Shorts #Sambhal
जय भवानी' PM Modi बोले- महाराष्ट्र में सुशासन और विकास की जीत, झूठ-छल-फरेब की हुई हार
संभल हिंसा पर कांग्रेस ने योगी और मोदी सरकार पर साधा निशाना
'चुनाव में उस वक्त ही हार गई थी भाजपा जब...' फिर चर्चा में आई यूपी उपचुनाव की एक घटना #Shorts