सार
Sawan Dusra Somvar 2023: सावन मास का दूसरा सोमवार 17 जुलाई को रहेगा। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन हरियाली अमावस्या का पर्व भी मनाया जाएगा। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या भी कहलाएगी।
उज्जैन. 17 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार (Sawan Dusra Somvar 2023) को है। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष महत्व माना गया है। इस दिन हरियाली अमावस्या का पर्व भी मनाया जाएगा। सोमवार को अमावस्या तिथि होने से ये सोमवती अमावस्या भी कहलाएगी। सोमवार को सुबह सूर्य राशि परिवर्तन करेगा, जिससे राजयोग बनेगा। और भी कई बातें सावन के दूसरे सोमवार को खास बना रही हैं। आगे जानिए सावन का दूसरा सोमवार से जुड़ी खास बातें…
3 साल बाद सावन में सोमवती अमावस्या का योग (Sawan 2nd Somvar 2023)
सावन की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। ये पर्व हर साल मनाया जाता है, लेकिन इस बार ये तिथि सोमवार को होने से ये सोमवती अमावस्या भी कहलाएगी। सावन मास में सोमवती अमावस्या का होना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके पहले सावन में सोमवती अमावस्या का संयोग 2020 में बना था।
सोमवार की सुबह सूर्य बदलेगा राशि
17 जुलाई, सोमवार की सुबह लगभग 5 बजे सूर्य मिथुन से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इस राशि में पहले से ही बुध ग्रह स्थित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य और बुध एक ही राशि में आ जाते हैं तो बुधादित्य नाम का राजयोग बनता है। सावन के दूसरे सोमवार की सुबह इस राजयोग का बनना बहुत ही खास रहेगा। इस दिन की गई पूजा, उपाय आदि का कई गुना फायदा मिलेगा।
ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त (Sawan Somvar 2023 Shubh Muhurat)
सावन का दूसरे सोमवार को दिन भर पूजा के कई मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तों में की गई शिव पूजा से उत्तम फल प्राप्त होंगे…
- सुबह 09:13 से 10:53
- दोपहर 12:06 से 12:59 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 02:12 से 03:51 तक
- शाम 05:31 से 07:10 तक
सावन सोमवार पर शिव पूजा की विधि (Shiv Puja Vidhi on Sawan Somwar)
17 जुलाई की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद शुभ महूर्त में शिव पूजा की तैयारी करें। शिवलिंग पर साफ जल जढ़ाएं। इसके बाद गाय के दूध से अभिषेक करें। फिर से एक बार शुद्ध जल चढ़ाएं। दीपक और अगरबत्ती जलाएं। एक-एक करके गंध, रोली, मौली, जनेऊ, शहद, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि चढ़ाते रहें। अंत में भोग लगाएं। पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद आरती कर प्रसाद भक्तों में बांट दें। दिन भर निराहार करें। ऐसा संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
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