Buddha Purnima 2024: क्या है भगवान बुद्ध की धरती को स्पर्श करती हुई प्रतिमा का ‘रहस्य’?

Buddha Purnima 2024: हर साल वैशाख मास की पूर्णिमा पर बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को है। बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है लेकिन इसको लेकर मतभेद है।

 

भगवान बुद्ध की अनेक चित्र और प्रतिमाएं हमें देखने को मिलते हैं। इन चित्रों और प्रतिमाओं में भगवान बुद्ध के हाथ अलग-अलग अवस्थाओं में प्रदर्शित किए जाते हैं। दरअसल बुद्ध के हाथों की ये अवस्थाएं मुद्राएं कहलाती हैं। इन सभी मुद्राओं का अलग-अलग महत्व है, जिनके बारे में कम हो लोगों को पता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 23 मई, गुरुवार को है। इस मौके पर हम आपको बुद्ध की इन खास मुद्राओं के बारे में बता रहे हैं…

बुद्ध की पृथ्वी को स्पर्श करती मुद्रा
इस मुद्रा में भगवान बुद्ध को अपने बाएं हाथ को गोद में और दाहिने हाथ को दायें घुटने पर रखकर हथेली को अंदर की ओर रखते हुए जमीन की ओर इशारा करते हुए दर्शाया जाता है। इस मुद्रा को भूमिस्पर्श मुद्रा कहते हैं। बुद्ध की ये मुद्रा काफी खास है। मान्यता है कि जब बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई तब वे इसी अवस्था में थे। इस मुद्रा से बुद्ध दावा करते हैं कि पृथ्वी उनके ज्ञान की साक्षी है। बुद्ध की इस मुद्रा की प्रतिमा को घर में रखने से तनाव कम होता है और सुख-शांति बनी रहेगी।

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भगवान बुद्ध की अभय मुद्रा
इस अवस्था में भगवान बुद्ध को दाहिने हाथ को उठाकर हथेली को बाहर की ओर दर्शाया जाता है। ये मुद्रा सुरक्षा, शांति, परोपकार और भय को दूर करने का प्रतिनिधित्व करती है। इसे घर में रखने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

भगवान बुद्ध की ध्यान मुद्रा
इस मुद्रा में भगवान बुद्ध को दोनों हाथों को गोद में रखे हुए प्रदर्शित जाता है। ये मुद्रा जीवन में स्थिरता के बारे में बताती है। इसे मुद्रा वाली प्रतिमा को घर में रखने से जीवन में शांति का अनुभव होता है।

भगवान बुद्ध की शिक्षण मुद्रा
इस मुद्रा में बुद्ध के दोनों हाथों को छाती के स्तर पर रखा जाता है, अंगूठे के ऊपरी भाग और तर्जनी को मिलाकर एक चक्र बनाया जाता है, जबकि बाएं हाथ को हथेली से बाहर कर दिया जाता है। स्टूडेंट्स के कमरे में भगवान बुद्ध की इस मुद्रा वाली प्रतिमा को रखना शुभ माना जाता है।

भगवान बुद्ध की निर्वाण मुद्रा
भगवान बुद्ध की ये मुद्रा पृथ्वी पर उनके जीवन के अंतिम क्षणों को दर्शाती है। इस प्रतिमा को घर के लिविंग रूप में रखना चाहिए। इससे पॉजिटिव एनर्जी पूरे घर में फैलती है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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