Narasimha Jayanti 2024: नृसिंह जयंती 21 मई को, नोट करें पूजा विधि-मंत्र, शुभ मुहूर्त और आरती

Narasimha Jayanti 2024: हर साल वैशाख मास में नृसिंह जयंती का पर्व मनाया जाता है, इसे नृसिंह चतुर्दशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था।

 

Narasimha Jayanti 2024 Details: भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए समय-समय पर अनेक अवतार लिए, नृसिंह अवतार भी इनमें से एक है। इस अवतार में उनका स्वरूप आधे शेर का और आधे मनुष्य का था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु ने ये अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर लिया था, इसलिए हर साल इस तिथि पर नृसिंह जयंती या नृसिंह चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। आगे जानिए इस बार कब है नृसिंह जयंती और पूजा विधि, मंत्र, आरती सहित पूरी डिटेल…

कब है नृसिंह चतुर्दशी 2024? (Kab Hai Narasimha Chaturdashi 2024)
पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 मई, मंगलवार की शाम 05 बजकर 39 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन 22 मई, बुधवार की शाम 06:48 तक रहेगी। विद्वानों का मत है कि चूंकि भगवान नृसिंह का अवतार शाम के समय हुआ था, इसलिए ये पर्व 21 मई, मंगलवार को मनाया जाना चाहिए। जबकि कुछ विद्वान सूर्योदय तिथि के अनुसार ये पर्व 22 मई, बुधवार को मनाएंगे।

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नृसिंह जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Narasimha Chaturdashi 2024 Shubh Muhurat)
21 मई, मंगलवार को नृसिंह जयंती पर पूजा का समय शाम 04:24 से 07:09 तक रहेगा। यानी पूजा के लिए आपको पूरे 02 घण्टे 44 मिनट का समय मिलेगा। नृसिंह जयंती व्रत का पारणा अगले दिन यानी 22 मई, बुधवार को दोपहर 12:18 से पहले कर लें।

इस विधि से करें नृसिंह जयंती व्रत-पूजा (Narasimha Jayanti Puja Vidhi)
- 21 मई, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद नृसिंह जयंती का व्रत-पूजा का संकल्प लें। संभव हो तो उपवास रखें, नहीं तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- शाम को शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर गंगा जल छिड़ककर उसे पवित्र करें। इसके बाद एक बाजोट यानी लकड़ी की चौकी वहां रखकर उसके ऊपर कलश (लोटा) स्थापित करें।
- कलश के ऊपर अक्षत यानी चावल से भरी कटोरी रखें। अब इसके ऊपर भगवान नृसिंह-लक्ष्मी की प्रतिमा रखें। दोनों को तिलक लगाएं। फूलों की माला पहनाएं और दीपक जलाएं।
- इसके बाद एक-एक करके अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। नीचे लिखे मंत्र के साथ भोग लगाएं और इसके बाद आरती करें। नृसिंह भगवान की कथा भी जरूर सुनें।
नैवेद्यं शर्करां चापि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्।
ददामि ते रमाकांत सर्वपापक्षयं कुरु।।
(पद्मपुराण, उत्तरखंड 170/62)
- अगले दिन यानी 22 मई, बुधवार को व्रत का पारणा करें। यानी ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इस तरह नृसिंह भगवान की पूजा से दुख और भय दूर होता है।

भगवान नृसिंह की आरती ( Lord Narasimha Aarti)
ॐ जय नरसिंह हरे,
प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
तुम हो दिन दयाला,
भक्तन हितकारी,
प्रभु भक्तन हितकारी ।
अद्भुत रूप बनाकर,
अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
सबके ह्रदय विदारण,
दुस्यु जियो मारी,
प्रभु दुस्यु जियो मारी ।
दास जान आपनायो,
दास जान आपनायो,
जनपर कृपा करी ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥
ब्रह्मा करत आरती,
माला पहिनावे,
प्रभु माला पहिनावे ।
शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे ॥
॥ ॐ जय नरसिंह हरे ॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

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