कौरव-पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में कईं करोड़ योद्धा मारे गए थे। इन मारे गए योद्धाओं की संख्या चौंकाने वाली है।
महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडव भगवान श्रीकृष्ण के साथ धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने हस्तिनापुर गए। धृतराष्ट्र और गांधारी अपने पुत्रों की मृत्यु से बहुत दुखी और क्रोधित भी थे।
श्रीकृष्ण और पांडवों ने धृतराष्ट्र और गांधारी को समझाया। इसके बाद महर्षि वेदव्यास के कहने पर युधिष्ठिर सभी कुरुवंशियों को अपने साथ लेकर कुरुक्षेत्र आए, जहां करोड़ों शव पड़े थे।
धृतराष्ट्र के पूछने पर युधिष्ठिर ने बताया कि ‘इस युद्ध में एक अरब, छाछठ करोड़, बीस हजार योद्धा मारे गए हैं। इसके अलावा चौबीस हजार एक सौ पैंसठ योद्धाओं की कोई जानकारी नहीं है।
धृतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से पूछा कि ‘तुम्हें मारे गए योद्धाओं की संख्या कैसे पता?’ तब युधिष्ठिर ने कहा ‘देवर्षि लोमश द्वारा दी गई दिव्य दृष्टि से ही मुझे ये गुप्त बात पता चली है।’
युद्ध में मारे गए सभी योद्धाओं का युधिष्ठिर ने कौरवों के पुरोहित सुधर्मा और अपने पुरोहित धौम्य के हाथों विधिवत अंतिम संस्कार करवाया और गंगा तट पर जाकर जलांजलि दी।
महाभारत के युद्ध में न सिर्फ भारत के सभी राजाओं ने हिस्सा लिया था बल्कि चीन, यमन आदि देशों के राजाओं ने भी इस युद्ध में कौरव और पांडवों का साथ दिया था।