दुर्योधन का परम मित्र और अंगदेश के राजा कर्ण भगवान परशुराम के तीसरे शिष्य थे, जिन्होंने महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। कर्ण भी कौरव सेना के सेनापति बने थे। महाभारत के अनुसार, गुरु परशुराम ने ही अपने शिष्य कर्ण को ये श्राप दिया था कि जब उन्हें इस ज्ञान की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, तब वह उनके किसी काम नहीं आएगी। इसी श्राप के चलते अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया था।
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