प्रेमानंद महाराज: पूरी दुनिया छोड़कर भगवान बार-बार भारत में ही क्यों अवतार लेते हैं?

Premanand Maharaj Viral Video: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के पास रोज हजारों लोग अपने प्रश्न लेकर आते हैं और बाबा उनका सटीक जवाब भी देते हैं। यही कारण है कि प्रतिदिन प्रेमानंद महाराज के पास भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

 

Manish Meharele | Published : Apr 16, 2024 9:06 AM IST / Updated: Apr 16 2024, 02:37 PM IST

वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज से मिलने रोज हजारों लोग आते हैं और कईं तरह के प्रश्न पूछते हैं। इनमें से कुछ लोगों के सवाल तो बहुत ही अजीब होते हैं। बाबा हर व्यक्ति को अपने जवान से संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं और उन्हें भगवद मार्ग पर लाने की कोशिश करते हैं। कुछ दिनों पहले एक व्यक्ति ने बाबा से पूछा कि ‘ जब भगवान के लिए संपूर्ण पृथ्वी एक समान है तो वे बार-बार भारत भूमि पर ही क्यों जन्म लेते हैं?’ आगे जानिए क्या कहा प्रेमानंद बाबा ने…

प्रेमानंद बाबा ने दिया ये जवाब
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘वैसे तो भगवान सभी के अंदर विराजमान हैं लेकिन वे सिर्फ भक्तों के ह्रदय में ही क्यों प्रकाशित होते हैं, सबके ह्रदय में क्यों प्रकाशित नहीं होते? इसके पीछे का कारण ये है कि भक्तों ने अपने ह्रदय को भक्ति के द्वारा मार्जन करके अविद्या का नाश करके भगवान को प्रकाशित कर लिया है। उसी तरह पूरे विश्व में सिर्फ भारत ही संतों की भूमि और महाभागवतों की भूमि है। इसलिए भगवान सिर्फ यहीं अवतरित होते हैं।’

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भारत की भूमि परम पवित्र
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘किस देश की नदी ऐसी है, जहां स्नान करने मात्र से सभ दोष दूर हो जाते हैं। ऐसा सिर्फ भारत में ही संभव है। यहां के मिट्टी को स्पर्श करने की याजना बड़े-बड़े ऋषि मुनि करते हैं। अवध, काशी, वृंदावन, द्वारिका में बड़े-बड़े संत महात्मा हुए, इसलिए भगवान ने इन स्थानों पर जन्म लेकर इन्हें परम पवित्र किया है। जब दूसरे देश के लोग यहां आते हैं तो वे भी चोटी रखते हैं, धोती पहनते हैं, कंठी बांधते हैं, माला हाथ में लेते हैं। ये इस भूमि का ही प्रताप है।’

तीनों लोकों में कहीं नहीं ऐसी जगह
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘पूरे विश्व में तो क्या तीनों लोकों में भारत जैसी कोई जगह नहीं है। ये ये कर्म क्षेत्र है, यही धर्म क्षेत्र है, यही ज्ञान क्षेत्र है और यही प्रेम क्षेत्र भी है। महाभारत में भगवान विष्णु के अवतार स्वयं महर्षि वेदव्यास ने लिखा है कि भारत भूमि में जन्म लेना महान सुख और भाग्य का प्रतीक है।’


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