Jagannath Rath Yatra 2024: उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर कईं रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए हैं। यहां स्थापित भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा से भी कई राज जुड़े हुए हैं।
Secrets of Jagannath Temple: उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार से शुरू हो चुकी है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस रथयात्रा के दर्शन करता है, वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। यही कारण है इस रथयात्रा को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त यहां आते हैं। जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कईं रहस्य भी हैं। सबसे बड़ा रहस्य भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा से जुड़ा है। आगे जानिए क्या है वो रहस्य…
स्थाई नहीं है भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की जो प्रतिमाएं मंदिर में स्थापित हैं वो स्थाई नहीं है। जब भी आषाढ़ का अधिक मास आता है तो पुरानी प्रतिमाओं को प्रवाहित कर वहां नई प्रतिमाएं स्थापित कर दी जाती हैं। ऐसा दुर्लभ संयोग लगभग 15 से 50 सालों में एक बार बनता है। इस दौरान भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसे नव कलेवर कहते हैं। देव प्रतिमाओं का निर्माण करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है।
रहस्यमयी तरीखे से बदली जाती हैं देव प्रतिमाएं
नव कलेवर के अंतर्गत जब भी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा बदली जाती है तो ये प्रक्रिया काफी रहस्यमयी होती है। प्रतिमा बदलते समय पूरे शहर में बिजली बंद कर दी जाती है और बिल्कुल अंधेरा कर दिया जाता है। मंदिर में सिर्फ वही पुजारी होते हैं, जो प्रतिमा बदलते हैं और उनकी आंखों पर भी पट्टी बांध दी जाती है।
एक प्रतिमा से दूसरी में डालते हैं ब्रह्मपदार्थ
जगन्नाथ भगवान की प्रतिमा से जुड़ी सबसे अनोखी बात ये है कि इसके अंदर एक ब्रह्मपदार्थ होता है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण का दिल कहते हैं। मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया में पुजारी सबसे पहले भगवान की पुरानी प्रतिमा से ब्रह्म पदार्थ निकालकर नई प्रतिमा में स्थापित करते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि जब पुजारी ऐसा करते हैं तो उन्हें वो दिल धड़कता हुआ महसूस होता है। आज तक इस ब्रह्मपदार्थ को किसी ने देखा नहीं है। कहते हैं कि देह त्याग के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण के शरीर को जलाया गया तो उनका दिल वैसा ही रहा, जिसे बाद में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा में स्थापित किया गया।
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