
Unique Temples Of India: इस बार पितृ पक्ष 7 से 21 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध तीर्थों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है। बिहार का गया शहर भी श्राद्ध, पिंडदान आदि के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां अनेक प्राचीन मंदिर हैं जिनसे रोचक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। ऐसा ही एक मंदिर है भगवान जनार्दन का। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां जीवित लोग स्वयं का पिंडदान, तर्पण कर सकते हैं। गया का जनार्दन मंदिर, एकमात्र ऐसा स्थान है जहां जीवित लोग स्वयं का श्राद्ध-तर्पण करने दूर-दूर से आते हैं। आगे जानिए क्या है इस मंदिर से जुड़ी मान्यता…
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हिंदू धर्म में आमतौर पर मृतकों का श्राद्ध होता है लेकिन इसमें आत्म श्राद्ध की व्यवस्था भी है। आत्म श्राद्ध यानी जीते जी स्वयं का पिंडदान करना। लेकिन ये श्राद्ध दुनिया में सिर्फ गया के जनार्दन मंदिर में ही किया जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान विष्णु जनार्दन स्वामी के रूप में स्वयं जीवित व्यक्ति का पिंड ग्रहण करते हैं। इससे पिंडदान करने वाले को मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
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जिन लोगों का अपना कोई पुत्र या सगा व्यक्ति नहीं होता। उन्हें ये लगता है कि मृत्यु के बाद उनका पिंडदान आदि परंपरा कौन निभाएगा? वे लोग जनार्दन मंदिर आकर मृत्यु से पहले ही स्वयं का पिंडदान आदि कर्म कर देते हैं जिससे कि मरने के बाद उसकी आत्मा को शांति मिल सके। यहां कारण है श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां दूर-दूर से लोग अपना श्राद्ध करने आते हैं। आत्म श्राद्ध वही कर सकते हैं, जिनके पुत्र-पुत्री जीवित नहीं हैं और अगर जीवित हैं और वे नास्तिक होकर विदेशों में जाकर बस गए हैं और अपने धर्म से अलग हो गए हैं।
- गया में बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। देश-विदेश से यहां के लिए सीधी उड़ाने आसान से मिल जाती हैं।
- गया में ही पूर्व मध्य रेलवे ज़ोन का महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है। दिल्ली, हावड़ा, मुंबई आदि शहरों से गया के लिए सीधी ट्रेनें आसानी से मिल जाती हैं।।
- गया देश के राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। अपने निजी वाहन या बस द्वारा भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।