
Janmashtami 2025 Parna Date And Shubh Muhurat: इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत करते हैं। मान्यता है कि जन्माष्टमी व्रत करने से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाता है। जन्माष्टमी व्रत के बाद इसका पारण करना भी जरूरी है तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है। उज्जैन के ज्योतिाषाचर्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए कब और कैसे करें जन्माष्टमी व्रत का पारण…
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विद्वानों के अनुसार, जन्माष्टमी व्रत का पारण अष्टमी तिथि या रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने पर करना चाहिए। इस बार अष्टमी तिथि 16 अगस्त, शनिवार की रात 09 बजकर 34 मिनिट पर समाप्त होगी। रात में पूजन के बाद अगली सुबह यानी 17 अगस्त, रविवार को जन्माष्टमी व्रत का पारण किया जा सकता है।
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ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, जन्माष्टमी व्रत का पारण 17 अगस्त, रविवार की सुबह 05 बजकर 51 मिनिट के बाद कभी भी किया जा सकता है। अगर सुबह किसी वजह से पारण न कर पाएं तो दोपहर 12 बजे पारण करें। यही शास्त्रीय विधि है जिसका पालन हम सभी को करना चाहिए।
- जन्माष्टमी व्रत का पारण करने से पहले किसी ब्राह्मण को भोजन करवाएं अगर ऐसा न कर पाएं तो उसे भोजन सामग्री का दान करें।
- अगर ब्राह्मण न हो तो किसी गरीब और जरूरतमंद को भी भोजन करवा सकते हैं गाय को हरा चारा खिलाकर भी पारण कर सकते हैं।
- पारण करने से पहले यानी कुछ खाने से पहले भगवान से व्रत का पूरा फल देने की प्रार्थना करें और सबसे पहले प्रसाद खाकर व्रत खोलें।
- व्रत के पारण में सात्विक भोजन करें यानी बिना लहसुन-प्याज का खाना खाएं। जन्माष्टमी व्रत पारण उसी दिन यानी 16 अगस्त को न करें।
- पारणा के दौरान मन ही मन भगवान का चिंतन करें। इस प्रकार व्रत का पारण करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।