Nirjala Ekadashi 2024: एकादशी तिथि पर क्यों नहीं खाना चाहिए चावल? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Published : Jun 11, 2024, 11:30 AM IST
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सार

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो बार एकादशी तिथि का संयोग बनता है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इन सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक माना गया है। 

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 18 जून, मंगलवार को है। इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन व्रती (व्रत करने वाले) को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। इस व्रत में कुछ भी खा नहीं सकते और न ही पानी पी सकते हैं। इसलिए इस एकादशी का नाम निर्जला रखा गया है। इसका एक नाम भीमसेनी एकादशी भी है।

एकादशी से जुड़े हैं खास नियम
धर्म ग्रंथों में एकादशी से जुड़े अनेक नियम बताए गए हैं जैसे इस व्रत में क्या करना चाहिए और क्या नहीं आदि। जो लोग व्रत नहीं रखते, उनके लिए भी इस कुछ खास नियम हैं जैसे इस तिथि पर चावल भूलकर भी नहीं खाना चाहिए। इस परंपरा के पीछे धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। इन कारणों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

एकादशी पर चावल न खाने का धार्मिक कारण
एकादशी तिथि पर चावल न खाने के पीछे अलग-अलग धर्म ग्रंथों में अलग-अलग बातें बताई गई हैं। विष्णु पुराण के अनुसार, एकादशी तिथि पर चावल खाने से हमारे पुण्य कम होते हैं क्योंकि चावल को हविष्य अन्न (देवताओं का भोजन) कहा जाता है। यही कारण है कि देवी-देवताओं के सम्मान में एकादशी तिथि पर चावल नहीं खाने चाहिए। इस अन्य मान्यता ये भी है कि जो लोग एकादशी पर चावल खाते हैं, उन्हें अगले जन्म में रेंगने वाले जीवन के रूप में जन्म लेना पड़ता है। इस कारण से भी लोग एकादशी पर चावल खाने से बचते हैं।

एकादशी पर चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण
एकादशी पर चावल न खाने का दूसरा कारण वैज्ञानिक है। इसके अनुसार, चावल की फसल पानी में ही पकती है और इसे बनाया भी पानी से जाता है। इसलिए इसमें जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। एकादशी तिथि पर जल तत्व पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है। इस तिथि पर चंद्रमा का बल अधिक होने से ये जल तत्वों को अपनी ओर खींचता करता है, जिससे मन विचलित होता है। इस वजह से मानसिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए एकादशी पर चावल खाने की मनाही है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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