Amalaki Ekadashi 2024: 20 मार्च को करें आमलकी एकादशी व्रत, जानें पूजा-व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र सहित पूरी डिटेल

Amalaki Ekadashi 2024 Date: एकादशी तिथि का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। साल में कुल 24 एकादशी आती है। इन सभी का नाम, महत्व और कथा अलग-अलग है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।

 

Manish Meharele | Published : Mar 15, 2024 4:20 AM IST / Updated: Mar 20 2024, 08:33 AM IST

Amalaki Ekadashi 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। चूंकि ये एकादशी होली के ठीक पहले आती है तो इसे रंगभरी ग्यारस भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। मथुरा, वृंदावन के मंदिरों में इस दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसे फाग कहते हैं। इस बार आमलकी एकादशी का व्रत मार्च के किया जाएगा। आगे जानिए आमलकी एकादशी की सही डेट व अन्य खास बातें…

कब करें आमलकी एकादशी व्रत 2024? (Kab Kare Amalaki Ekadashi 2024)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 19 मार्च, मंगलवार की रात 12:22 से शुरू होगी, जो 20 मार्च, बुधवार की रात 02:23 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 20 मार्च को होगा और इसी दिन ये तिथि दिन भर भी रहेगी, इसलिए आमलकी एकादशी का व्रत भी इसी दिन किया जाएगा।

कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे आमलकी एकादशी 2024 पर? (Amalaki Ekadashi 2024 Shubh Yog)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 20 मार्च, बुधवार को पुष्य नक्षत्र दिन भर रहेगा, जिससे मातंग नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन सुकर्मा नाम का शुभ योग भी बनेगा। वहीं बुध और सूर्य के मीन राशि में होने से बुधादित्य नाम का राजयोग भी इस दिन बनेगा।

ये हैं आमलकी एकादशी 2024 के शुभ मुहूर्त (Amalaki Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
- सुबह 06:34 से 08:04 तक
- सुबह 08:04 से 09:34 तक
- सुबह 11:04 से दोपहर 12:34 तक
- शाम 05:04 से 06:34 तक

ये है आमलकी एकादशी की पूजा-व्रत विधि (Amalaki Ekadashi 2024 Puja Vidhi)
- आमलकी एकादशी के एक दिन पहले यानी 19 मार्च, मंगलवार की रात को सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 20 मार्च, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- पूजा की तैयारी पहले से कर रख लें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं, फिर कुमकुम का तिलक लगाएं और फूल माला पहनाएं।
- इसके बाद भगवान विष्णु को रोली, कुमकुम, चावल, गुलाल, अबीर आदि चीजें चढ़ाते एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार फल और मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें। भोग में तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
- इस व्रत में आंवला वृक्ष की पूजा का भी विधान है। भगवान विष्णु की पूजा के बाद आंवला वृक्ष की पूजा करें और दीपक लगाएं।
- रात भर जागरण करें। अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।

भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे...॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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