
Geeta Jayanti significance: हर साल अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 1 दिसंबर, सोमवार को मनाया जाएगा। गीता महाभारत ग्रंथ का ही एक अंश है। कुरुक्षेत्र के मैदान में अपने सगे-संबंधियों को देखकर जब अर्जुन के मन में विषाद आ गया, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया था। इसके अलावा भी कईं बार गीता का उपदेश दिया गया, जिसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। आगे जानिए गीता का उपदेश कब, किसने और कहां दिया…
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महाभारत के जब श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे हैं, तब उन्होंने कहा कि ये उपदेश पहले वे सूर्यदेव को भी दे चुके हैं। तब अर्जुन ने कहा ‘सूर्यदेव तो प्राचीन देवता हैं, आप उन्हें ये उपदेश पहले कैसे दे सकते हैं? तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा ‘तुम्हारे और मेरे पहले बहुत से जन्म हो चुके हैं। उन्हीं में से एक जन्म में मैंने सूर्यदेव को ये उपदेश दिया था।’ इस तरह गीता का ज्ञान सर्वप्रथम अर्जुन को नहीं बल्कि सूर्यदेव को प्राप्त हुआ था।
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जब भगवान श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे, उस समय संजय (धृतराष्ट्र के सारथी) अपनी दिव्य दृष्टि से वो सब देख और सुन रहे थे। संजय ने गीता का उपदेश सुनकर उसे धृतराष्ट्र को भी वैसा का वैसा ही सुनाया था। इस तरह अर्जुन के अलावा संजय को भी गीता का उपदेश प्राप्त हुआ था।
जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की तो इसे लिखने के लिए उन्होंने श्रीगणेश को आमंत्रित किया। महर्षि वेदव्यास के कहने पर श्रीगणेश ने ही महाभारत ग्रंथ का लेखन किया। महर्षि वेदव्यास बोलते जाते थे और श्रीगणेश लिखते जाते थे। इसी समय महर्षि वेदव्यास ने श्रीगणेश को गीता का उपदेश दिया था।
जब भगवान श्रीगणेश ने महाभारत ग्रंथ का लेखन कार्य पूर्ण कर लिया तो इसके बाद महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों वैशम्पायन, जैमिनी, पैल आदि को भी महाभारत के गूढ़ रहस्यों के बारे में समझाया था। ऐसा करते समय उन्होंने अपने शिष्यों को भी गीता का ज्ञान भी दे दिया था।
एक बार राजा जनमेजय (अभिमन्यु के पुत्र) की सभा में महर्षि वेदव्यास अपने शिष्यों के आए। वहां राजा जनमेजय ने अपने पूर्वजों (पांडव व कौरवों) के बारे में महर्षि वेदव्यास से पूछा। तब महर्षि वेदव्यास के कहने पर उनके शिष्य वैशम्पायन ने संपूर्ण महाभारत की कथा सुनाई थी। इसी दौरान उन्होंने गीता का उपदेश वहां उपस्थित लोगों को दिया था।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।