Holika Dahan 2024: होलिका दहन क्यों किया जाता है, क्यों जलाते है होली? जानिए सब कुछ

Holika Dahan Kyo Karte Hai: होलिका दहन और होली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हर साल ये त्योहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं। इन त्योहारों से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जो इन त्योहारों को और भी खास बनाती हैं।

 

Manish Meharele | Published : Mar 18, 2024 8:36 AM IST

Kyo Jalate Hai Holi: फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर हर साल होलिका दहन किया जाता है। इस बार ये तिथि 24 मार्च, सोमवार को है। इस दिन कईं शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। होलिका दहन क्यों किया जाता है-क्यों जलाते हैं होली? इससे जुड़ी कईं मान्यताएं और कथाएं हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। आगे जानिए होलिका दहन से जुड़ी खास बातें…

क्यों किया जाता है होलिका दहन? (Kyo Karte Hai Holika Dahan)
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में हिरण्यकशिपु नाम का राक्षसों का राजा था। वह भगवान विष्णु का परम शत्रु था और साधु-संतों को भी विष्णुजी की पूजा करने से रोकता था और उन्हें दंड भी देता था। हिरण्यकशिपु के 4 पुत्र थे, इनमें से सबसे बड़े पुत्र का नाम प्रह्लाद था।
- प्रह्लाद जन्म से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। ये बात हिरण्यकशिपु को पसंद नहीं थी। उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णुजी की भक्ति करने से कईं बार मना किया, लेकिन वह नहीं माना। तब हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद का वध करने का कठोर निर्णय लिया।
- फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को कईं यातनाएं दी और मारने का प्रयास भी किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सकुशल और जीवित रहा। तब हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को याद किया।
- होलिका को भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती। तब हिरण्यकशिपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को साथ लेकर अग्नि में बैठ गई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को अग्नि जला न सकी और स्वयं होलिका उस अग्नि में जली गई।
- उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि थी। तभी से इस तिथि पर हर साल होलिका दहन करने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन होलिका और प्रह्लाद की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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