
Karwa Chauth Ki Katha: इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 1 नवंबर, बुधवार को है। इसी दिन करवा चौथ का व्रत किया जाएगा। करवा चौथ का इंतजार हर सुहागिन महिला का होता है। इस व्रत महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं यानी दिन भर कुछ भी खाती-पीती नहीं है और शाम को चंद्रमा के उदय होने पर अपना व्रत पूर्ण करती हैं। इस व्रत में कथा सुनना बहुत जरूरी माना गया है, इसको सुने बिना व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिलता। आगे जानिए इस व्रत की कथा…
ये है करवा चौथ व्रत की कथा
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में किसी गांव में वेद शर्मा नाम का एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। उसके 7 पुत्र और 1 पुत्री थी, जिसका नाम वीरावती था। वीरावती अपने परिवार में सबको प्रिय थी। सभी उसका ध्यान रखते थे। जब वीरावती युवा हुई तो उसका विवाह बड़ी ही धूम-धाम से किया गया।
विवाह के बाद वीरावती को करवा चौथ व्रत का इंतजार था। जब करवा चौथी आई तो वीरावती में पहली बार ये व्रत किया लेकिन भूख-प्यास के कारण वह बेहोश हो गई। ये देखकर उसके भाई घबरा गए और उन्होंने पेड़ के पीछे से मशाल का उजाला दिखाकर वीरावती से झूठ कहा कि चांद निकल आया है।
वीरावती ने भाइयों की बात पर विश्वास कर अपना व्रत पूर्ण समझकर भोजन कर लिया। ऐसा करने से वीरावती के पति की मृत्यु हो गई। जब भाइयों द्वारा झूठ बोले जाने की बात उसे पता चली तो वह बहुत दुखी हो गई और उसने पति के वियोग में अन्न-जल का त्याग कर दिया।
उसी रात देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी पृथ्वी पर आई। उसने जब वीरावती को इस हाल में देखा तो कहा कि ‘अबकी बार तुम पुन: करवा चौथ का व्रत करो। मैं उस व्रत के ही पुण्य प्रभाव से तुम्हारे पति को फिर से जीवित कर दूंगी।’ वीरावती ने ऐसा ही किया, जिससे उसका पति जीवित हो उठा।
इंद्राणी की कृपा से वीरावती ने काफी लंबे समय तक वैवाहिक सुख भोगा। समय के साथ उसे पुत्र, धन, धान्य और पति की दीर्घायु का लाभ मिला। इस तरह करवा चौथ का व्रत सुख-समृद्धि देने वाला है। करवा चौथ व्रत करने वाली सुहागिन महिलाओं को ये कथा जरूरी सुननी चाहिए।
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