
Sant Ravidas Jayanti 2024: हर साल माघ मास की पूर्णिमा पर संत रविदास की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 24 फरवरी, शनिवार को है। पूरे देश में उनके अनुयायी इस दिन को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। काशी में संत रविदास का एक विशाल मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी कईं ऐसी बातें हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। रविदास जयंती के मौके पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…
कहां है संत रविदास का गोल्डन टेंपल? (Where is the Golden Temple of Sant Ravidas?)
काशी में संत रविदास का एक भव्य मंदिर उनके अनुयायियों ने बनवाया है। इसे काशी का दूसरा गोल्डन टेंपल भी कहते हैं। इसका निर्माण साल 1965 में हुआ था। इस मंदिर में 200 किलो सोने से ज्यादा की अलग-अलग चीजें हैं जैसे पालकी, दीपक आदि। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
साल में एक बार निकलती है ये पालकी
संत रविदास का ये मंदिर यहां रखी सोने की चीजों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। इसलिए काशी विश्वनाथ के बाद इसे दूसरा गोल्डन टेंपल का नाम दिया गया है। इस मंदिर में 130 किलो सोने की पालकी, 35 किलो सोने का दीपक, 35 किलो सोने की छतरी और 32 स्वर्ण कलश हैं। सोने की पालकी साल में सिर्फ एक बार रविदास जयंती के मौके पर ही निकाली जाती है।
दीपक और कलश भी सोने के
रविदासजी के इस मंदिर में अखंड ज्योति भी जल रही है। खास बात ये है कि ये दीपक भी सोने का बना हुआ है, जिसका वजन लगभग 35 किलो है। ये दीपक कितना विशाल है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें एक बार में 5 किलो शुद्ध घी डाला जाता है। इस मंदिर में लगे 32 कलशों पर भी भक्तों ने मिलकर सोना चढ़वाया है।
रविदास जयंती पर उमड़ती है भीड़
हर साल संत रविदास जयंती के मौके पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। हर कोई इस मंदिर में आकर संत रविदास का आशीर्वाद पाना चाहता है। सिर्फ आम भक्त ही नहीं बल्कि कईं नेता, अभिनेता और कलाकार भी यहां आकर सिर झुकाते हैं। विदेश भी से कई भक्त यहां आते हैं। इस दिन इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है।
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