संत कबीर के बेटे का नाम कमाल था। एक बार जब संत कबीर घर में नहीं तो कुछ लोग एक युवक को मृतप्राय स्थिति में उनके घर लेकर आए। कमाल ने राम नाम बोलकर गंगाजल उसके मुख में डाल दिया तो वह ठीक हो गया। ये बात कमाल ने अपने पिता को बताई। कमाल की बातों से कबीर को ये लग गया कि उनके बेटे को स्वयं पर अहंकार हो गया है।
अगले दिन कबीर ने बेटे कमाल को एक चिट्ठी दी और इसे एक संत को देकर आने को कहा। कमाल ने पिता के बताए संत को वह चिट्ठी दे दी। उस चिट्ठी में लिखा था “कमाल भयो कपूत, कबीर को कुल गयो डूब।”
आश्चर्य की बात ये थी कि वो संत देख नहीं सकते थे, फिर भी उनके यहां बीमार और दुखियों की लाइन लगी हुई थी। संत ने उन सभी पर एक साथ गंगाजल छिड़क दिया, जिससे उनकी बीमारियां दूर हो गई। ये देखकर कमाल को बड़ा आश्चर्य हुआ। तभी संत ने कहा कि पीछे नदी में एक युवक डूब रहा है, उसे बचा लाओ।
कमाल ने ऐसा ही किया। जब कमाल संत के लौटकर आया तो उसने अपने पिता द्वारा भेजे गए उस पत्र को पढ़ा। उसे समझ आ गया कि पिता ने मेरा अहंकार दूर करने के लिए मुझे यहां भेजा है।
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