Rang Panchami 2024 Facts: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं जो इसे खास बनाती हैं। हालांकि ये उत्सव पूरे देश में न मनाया जाकर कुछ स्थानों पर ही मनाया जाता है।
हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। रंग पंचमी क्यों मनाते हैं, इसे लेकर कईं मान्यताएं है। रंग पंचमी उत्सव पूरे देश में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में मनाया जाता है। इससे संबंधित कुछ परंपराएं पूरे देश में निभाई जाती हैं। आगे जानिए क्यों मनाते हैं रंगपंचमी और इस दिन किस देवी-देवता की पूजा करें…
भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है पहली कथा (Kyo Manate hai Rang Panchami)
मान्यताओं के अनुसार, जब होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर जलती अग्नि में बैठी तो स्वयं तो जल गई लेकिन प्रह्लाद उस अग्नि में 5 दिनों तक बैठे रहे। 5 दिन बाद जब प्रह्लाद अग्नि से बहार आए तो सभी लोगों ने भगवान की जय-जयकार की और एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर उत्सव मनाया जाएगा। तभी से इस दिन रंगपंचमी मनाने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक जारी है।
रंग पंचमी की एक कथा ये भी (Story Of Rang Panchami)
रंगपंचमी से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था। यानी रंग-बिरंगे रंगों से अवतार कार्य शुरू किया था। कहते हैं कि रंग पंचमी पर आसमान में फूलों से बने रंग-गुलाल उड़ाने से वातावरण में राजसिक और तामसिक प्रभाव कम होता है और सात्विक प्रभाव बढ़ता है। ऐसा करने से देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं।
रंग पंचमी पर किसकी पूजा करें? (Rang Panchami Par Kiski Puja Kare)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र महीने के पांचवें दिन यानी रंग पंचमी पर पंचदेवों की पूजा करनी चाहिए। ये पंच देव हैं- गणेश जी, देवी दुर्गा, भगवान शिव, विष्णु और सूर्य देव। इन पंचदेवों की पूजा करने से हर तरह के रोग, शोक और दोष दूर होते हैं। इस दिन विभिन्न मंदिरों में भी रंग उड़ाकर ये उत्सव मनाया जाता है।
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