जब युद्ध में अपने ही बेटे के हाथों मारे गए अर्जुन, फिर दोबारा कैसे हो गए जिंदा?

Interesting facts about Mahabharata: महाभारत में अर्जुन के एक पुत्र का नाम ब्रभ्रुवाहन बताया गया है। युद्ध में ब्रभ्रुवाहन ने अपने ही पिता अर्जुन का वध कर दिया था। आगे जाने ये घटना कब और कहां हुई?

 

Interesting facts about Babruvahana in Mahabharata: महाभारत में अर्जुन की कईं पत्नियों के बारे में बताया गया है, इनमें से चित्रांगदा भी एक थी। चित्रांगदा का अर्जुन से एक पुत्र था, जिसका नाम बभ्रुवाहन था। एक युद्ध के दौरान बभ्रुवाहन ने अपने ही पिता अर्जुन का वध कर दिया था। सुनने में ये बात थोड़ी अजीब लगे लेकिन महाभारत में इसे विस्तार पूर्वक बताया गया है। आगे जानिए कौन था बभ्रुवाहन और उसने क्यों किया अपने ही पिता अर्जुन का वध?

कौन था अर्जुन का बेटा बभ्रुवाहन?
महाभारत के अनुसार, एक बार अर्जुन घूमते-घूमते मणिपुर पहुंचें। वहां की राजकुमारी चित्रांगदा को देखकर वे मोहित हो गए और उन्होंने उनके पिता के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। चित्रांगदा के पिता इस विवाह के लिए राजी हो गए और उन्होंने कहा ‘मेरी पुत्री से जो संतान होगी वह यहीं रहेगी।’ अर्जुन ने उनकी बात मान ली। विवाह के बाद चित्रांगदा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम बभ्रुवाहन रखा। इसके बाद अर्जुन मणिपुर से हस्तिनापुर लौट आए और चित्रांगदा और बभ्रुवाहन वहीं रूक गए।

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पांडवों ने किया अश्वमेध यज्ञ
हस्तिनापुर का राजा बनने के बाद युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया। यज्ञ के नियमों के अनुसार, पांडवों का एक घोड़ा अलग-अलग राज्यों में जाता। अर्जुन भी उसके साथ रक्षक बनकर जाते थे। जिन राज्यों के राजा युधिष्ठिर को अपना सम्राट मान लेते, अर्जुन उनसे मित्रता कर लेते। जो राजा ऐसा नहीं करते अर्जुन उनसे युद्ध करते और उन्हें पराजित कर देते थे।

क्यों हुआ बभ्रुवाहन और अर्जुन का युद्ध?
अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा घुमते-घुमते मणिपुर पहुंच गया। उस समय अर्जुन का पुत्र बभ्रुवाहन ही वहां का राजा था। जब बभ्रुवाहन को अपने पिता अर्जुन के आने का समाचार मिला तो वे बहुत खुश हुआ। लेकिन अर्जुन ने उससे कहा कि ‘तुम क्षत्रिय धर्म के अनुसार, मुझसे युद्ध करो।’ पिता की बात मानकर बभ्रुवाहन युद्ध के लिए तैयार हो गए। दोनों में भयंकर युद्ध होने लगा।

जब बभ्रुवाहन ने कर दिया अर्जुन का वध
अपने पुत्र का पराक्रम देखकर अर्जुन बहुत खुश हुए। युद्ध के दौरान बभ्रुवाहन ने बिना सोचे-समझे एक ऐसा बाण चलाया कि जिसकी चोट से अर्जुन बेहोश होकर धरती पर गिर पड़े। तभी वहां बभ्रुवाहन की माता चित्रांगदा भी आ गई। चित्रांगदा ने देखा कि अर्जुन के शरीर में जीवित होने के कोई लक्षण नहीं हैं। अपने पति को मरा देखकर वो फूट-फूट कर रोने लगी। बभ्रुवाहन को भी अपने किए पर पछतावा होने लगा।

कैसे पुनर्जीवित हुए अर्जुन?
जब चित्रांगदा और बभ्रुवाहन अर्जुन की मृत्यु का शोक मना रहे थे, तभी वहां नागकन्या उलूपी आ गई। उलूपी भी अर्जुन की पत्नी थी। जब उलूपी ने अर्जुन को मृत देखा तो उसने संजीवन मणि के प्रभाव से उन्हें फिर से जीवित कर दिया। ये देख चित्रांगदा और बभ्रुवाहन बहुत खुश हुए। अर्जुन भी अपने पुत्र के पराक्रम पर प्रसन्न हुए और यज्ञ का घोड़ा लेकर अन्य राज्यों की ओर चले गए।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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