कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ महाभारत का भयंकर युद्ध? जानें इसके पीछे की रोचक कथा

mahabharat facts: महाभारत में कईं ऐसे रोचक बातें बताई गई हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। जैसे महाभारत का युद्ध जिस मैदान में लड़ा गया है, उसे कुरुक्षेत्र कहते हैं, इसका ये नाम कैसे पड़ा?

 

कौरव और पांडवों के बीच जिस स्थान पर युद्ध हुआ, महाभारत में इसका नाम कुरुक्षेत्र बताया गया है। इस जगह का नाम कुरुक्षेत्र ही क्यों पड़ा और इसी जगह पर क्यों महाभारत का युद्ध हुआ। इसके पीछे एक रोचक और प्राचीन कथा है, जिसके बारे में कुछ ही लोगों को पता है। आगे जानिए कौन थे पांडवों के पूर्वज राजा कुरु और उनसे जुड़ी खास बातें…

कौन थे राजा कुरु?
महाभारत के अनुसार, चंद्रवंश में एक प्रतापी राजा हुए, जिनका नाम संवरण था। ये हस्तिनापुर के राजा थे। इनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री ताप्ती से हुआ था। ताप्ती और संवरण से ही कुरु का जन्म हुआ। राजा कुरु के नाम से ही चंद्रवंश आगे चलकर कुरुवंश कहलाया। राजा कुरु बड़े प्रतापी और तेजस्वी राजा थे। राजा कुरु के नाम से ही कुरु महाजनपद का नाम प्रसिद्ध हुआ।

Latest Videos

देवराज इंद्र ने दिया राजा कुरु को वरदान
महाभारत के अनुसार, राजा कुरु ने जिस भूमि पर हल चलाया, उसे कुरुक्षेत्र कहा गया। एक बार जब राजा कुरु इस स्थान पर हल चल रहे थे, तब देवराज इंद्र ने आकर उनसे इसका कारण पूछा ‘तब राजा कुरु ने कहा कि जिसकी भी मृत्यु इस स्थान पर हो वह सीधे पुण्य लोक में जाए, ऐसी मेरी इच्छा है।’ तब देवराज इंद्र ने उनकी ये इच्छा पूरी करने से इंकार कर दिया। राजा कुरु ने फिर भी अपना हठ नहीं छोड़ा और उस स्थान को बार-बार हल से जोतते रहे। आखिरकर देवराज इंद्र को राजा कुरु की ये बात माननी पड़ी।

इसलिए यही पर लड़ा गया महाभारत का युद्ध
कुरुक्षेत्र में जिसकी भी मृत्यु होगी, वो व्यक्ति पुण्य लोक में जाएगा, ये बात भीष्म और श्रीकृष्ण सहित सभी लोग जानते थे। इसलिए कौरव और पांडवों के बीच युद्ध के लिए इसी स्थान को चुना गया। महाभारत के वनपर्व के अनुसार, कुरुक्षेत्र में आकर सभी लोग पापमुक्त हो जाते हैं। नारद पुराण में भी इस स्थान का महत्व बताया गया है, उसके अनुसार जिसकी भी मृत्यु कुरुक्षेत्र में होती है, उनका कभी पुनर्जन्म नहीं होता। भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।

ऐसे आगे बढ़ा कुरुवंश
राजा कुरु का विवाह शुभांगी से हुआ, जिनसे उनके पुत्र विदुरथ हुए। विदुरथ के वंश में आगे जाकर राजा शांतनु का जन्म हुआ। राजा शांतनु का विवाह देवनदी गंगा से हुआ, जिनसे भीष्म पैदा हुए। शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती से चित्रांगद और विचित्रवीर्य हुए। विचित्रवीर्य के पुत्र हुए धृतराष्ट्र व पांडु। धृतराष्ट्र के पुत्र कौरव कहलाए और पांडु के पुत्र पांडव।


ये भी पढ़ें-

गुरु द्रोणाचार्य को अंगूठा काटकर देने के बाद एकलव्य का क्या हुआ...?


कौन थी दुर्योधन की वो बेटी, जिसका श्रीकृष्ण के बेटे ने किया अपहरण और की शादी?


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

Share this article
click me!

Latest Videos

बालाजी के दरबार में केजरीवाल, बाहर लगे मोदी-मोदी के नारे । Arvind Kejriwal । Balaji Rajasthan
Dausa News: उज्जैन से आ रहे लोगों पर टूटा कोहरे का कहर, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर भयंकर बस हादसा
सिर्फ ₹1290 में आसमान से देखिए Mahakumbh 2025 का भव्य नजारा, जानें बुकिंग का पूरा प्रॉसेस
Mahakumbh 2025: नाव से करनी है गंगा-यमुना की सैर तो जान लें किराया, यात्रियों का है फायदा
महाकुंभ में महानिर्वाणी अखाड़े की जोरदार एंट्री, देखने लायक था हाथी-घोड़े और ऊंट पर साधुओं का अंदाज