Mahakaleshwar Darshan: महाशिवरात्रि पर करें महाकाल ज्योतिर्लिंग के लाइव दर्शन, जानें रोचक बातें भी

Mahakaleshwar Live Darshan: शिवमहापुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों का वर्णन मिलता है। इनमें से तीसरे ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर है जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। ये एकमात्र ऐस ज्योतिर्लिंग हैं जो दक्षिणमुखी है, इसलिए इसका खास महत्व भी है।

 

Manish Meharele | Published : Feb 18, 2023 2:13 AM IST / Updated: Feb 19 2023, 11:33 AM IST

उज्जैन. इस बार महाशिवरात्रि (mahashivratri 2023) का पर्व 18 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धर्म ग्रंथों में 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है। इनमें से मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग अपने पौराणिक महत्व के लिए तो जाना जाता है, इसके अलावा और भी कई बातें इसे खास बनाती हैं। ये ज्योतिर्लिंग 12 में से तीसरे स्थान पर आता है। यहां रोज सुबह होने वाली भस्मारती विश्व प्रसि्दध है। ये एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग जो दक्षिणमुखी है। जो भक्त मंदिर नहीं पहुंच पा रहे वे यूट्यूब पर बाबा महाकाल के लाइव दर्शन (Mahakal Live Darshan) कर सकते हैं। आगे जानिए महाकाल मंदिर से जुड़ी खास बातें…



पहले चढ़ाई जाती थी मुर्दे की भस्म
12 ज्योतिर्लिंग में से एकमात्र यहीं पर भस्म आरती की परंपरा है। इस आरती के दौरान भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाई जाती है। कहते हैं कि पहले भस्म आरती के लिए मुर्दे की राख का उपयोग किया जाता है, लेकिन कालांतर के साथ ये परंपरा बदल गई। वर्तमान में रोज सुबह भस्मी (गाय के उपले से बनी भस्म) से बाबा महाकाल की आरती की जाती है।

इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का तांत्रिक महत्व
वैसे तो कुल 12 ज्योतिर्लिगों के बारे में शिवमहापुराण में बताया गया है, लेकिन इनमें से एकमात्र यही ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है। दक्षिण यमराज की दिशा है। यम यानी काल के स्वामी होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकाल प्रसिद्ध है। महाकाल को तंत्र का स्वामी भी कहा जाता है, इसलिए इस स्थान पर दूर-दूर से तांत्रिक दर्शन के लिए आते हैं।

साल में एक बार खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर
महाकाल मंदिर के तीन तल हैं। सबसे नीचे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं, इसके ऊपरी तल पर ओमकालेश्वर विराजमान हैं और सबसे ऊपरी तल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर है। यहां शेषनाग के आसन पर भगवान शिव और देवी पार्वती विराजमान हैं। ऐसी प्रतिमा देश के और किसी मंदिर में देखने को नहीं मिलती। ये मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलता है।

कैसे पहुंचे?
- यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो करीब 58 किलोमीटर है।
- उज्जैन लगभग देश के सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है।
- उज्जैन में सड़कों का अच्छा जाल बिछा है और यह देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।



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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

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