Maha shivratri 2024: तस्वीरों में देखिए वो जगह, जहां हुआ था भगवान शिव-पार्वती का विवाह !

Mahashivratri 2024 Kab Hai: महाशिवरात्रि का पर्व माता पार्वती और शिवजी के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। शिव-पार्वती का विवाह जहां हुआ था, उत्तराखंड में आज भी जगह देखी जा सकती है। आज भी यहां शिव विवाह की अग्नि निरंतर जल रही है।

 

Manish Meharele | Published : Mar 5, 2024 4:52 AM IST / Updated: Mar 07 2024, 04:13 PM IST
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कहां हुआ था शिव-पार्वती का विवाह?

Interesting things related to Triyugi Narayan Temple Rudraprayag: फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। ये पर्व शिव-पार्वती के विवाह उत्सव रूप में मनाया जाता है। विद्वानों का मानना है कि उत्तराखंड में आज भी वो जगह है, जहां शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। शिव-पार्वती ने जिस पवित्र अग्नि के सात फेरे लिए थे, वो आज भी यहां जल रही है। महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए इस जगह से जुड़ी खास बातें और देखिए तस्वीरें…

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कहां हुआ था शिव-पार्वती का विवाह?

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में एक प्राचीन मंदिर है, जिसे त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं, लेकिन इसे शिव-पार्वती के विवाह के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि यही वो स्थान हैं, जहां शिव-पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। शिव विवाह से संबंधित अनेक प्रमाण यहां देखने को मिलते हैं।

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कैसा दिखता है ये मंदिर?

त्रियुगीनारायण मंदिर में भगवान विष्णु की 2 फीट की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। यहां देवी लक्ष्मी और सरस्वती की प्रतिमाएं भी हैं। मंदिर के निकट ही 4 छोटे-छोटे कुंड हैं, जिन्हें रुद्रकुंड, विष्णुकुंड, ब्रह्मकुंड और सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है। ये सभी कुंड हमेशा पानी से भरे रहते हैं। इस कुंडों से जुड़ी कईं कथाएं भी प्रचलित हैं, इसलिए इन्हें भी पवित्र माना जाता है।

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आज भी जल रही है शिव विवाह की अग्नि

त्रियुगी नारायण मंदिर के सामने अखंड ज्योति जल रही है। कहते हैं कि शिव-पार्वती ने इसी अग्नि के फेरे लिए थे। अखंड ज्योति के चलते ही इस मंदिर का एक नाम अखंड धूनी मंदिर भी है। लोग इस हवनकुंड की राख को अपने साथ ले जाते हैं और घर में रखकर पूजा करते हैं।

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कैसे पहुंचें त्रियुगी नारायण मंदिर?

- त्रियुगी नारायाण मंदिर सोनप्रयाग से 12 किमी दूर है। सोनप्रयाग पहुंचकर आप सड़क मार्ग से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- रेल यात्री हरिद्वार के लिए ट्रेन में सवार हो सकते हैं, जो त्रियुगीनारायण से लगभग 275 किमी दूर स्थित है। वहां से यहां पहुंचने के कई साधन हैं।
- रुद्रप्रयाग का सबसे नजदीक हवाई अड्डा देहरादून है। यहां से आप टैक्सी या अपने निजी वाहन से आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।


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