
Myths And Facts Related To Snakes: नागों से जुड़ी कईं मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित है जैसे- नाग इच्छाधारी होते हैं और इनके पास चमत्कारी मणि होती है। नाग अपने साथी की मौत का बदला लेते हैं आदि। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित सर्प अनुसंधान केंद्र के संस्थापक डॉ. मुकेश इंगले ने अपनी एक किताब में सांपों से जुड़ी इन मान्यताओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। नाग पंचमी (29 जुलाई, मंगलवार) के मौके पर जानिए सांपों से जुड़े मिथ और उनसे जुड़े रोचक फैक्ट…
सर्प वैज्ञानिक डॉ. मुकेश इंगले ने अपनी किताब में स्पष्ट लिखा है कि सांप एक मांसाहारी जीव है जो छोटे-छोटे जानवर जैसे-मेंढ़क, चूहा आदि को खाता है। इसका दूध से दूर-दूर तक कोई संबंध है। अगर जबरदस्ती कोई सांप को दूध पिलाए तो ये इनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है क्योंकि दूध इनका आहार नहीं है। दूध पिलाने से सांपों को निमोनिया हो सकता है, जिससे इनकी जान भी जा सकती है।
डॉ. इंगले ने अपनी पुस्तक में बताया है कि नागों के रूप बदलने यानी इच्छाधारी होने की कथाएं सिर्फ फिल्मों में देखने को मिलती है, वास्तविकता का इससे कोई संबंध नहीं है। सांपों की कोई प्रजाति इच्छाधारी नहीं होती। ये सिर्फ एक भ्रम है जो पुरातन समय से चला आ रहा है। फिल्मों में इसे दर्शाकर लोगों को भ्रमित किया गया है।
सांपों से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि इनके पास एक चमत्कारी मणि होती है। डॉ. इंगले के मुताबिक ये मान्यता भी पूरी तरह से गलत है। अभी तक किसी रिसर्च में ये सांप के पास मणि नहीं पाई गई है। इस मान्यता से जुड़ा एक तथ्य ये है कि जब कोबरा सांप अपना फन फैलाता है तो ऊपर एक चमकीला निशान दिखाई देता है। लोग इसे ही मणि मान लेते हैं। जबकि ऐसा होता नहीं है।
कुछ फिल्मों में बताया गया है कि सांप अपने साथी की मौत का बदला लेते हैं। ये बात भी पूरी तरह से गलत है। डॉ. इंगले की मानें तो सांप एक अल्प बुद्धि वाला जीव है, उसके मस्तिष्क में वो हिस्सा होता ही नहीं है जहां वो पुरानी यादें एकत्र कर सके। इसलिए ये कहना कि सांप अपने साथ की मौत का बदला लेते हैं, पूरी तरह से गलत है।
सपेरे दावा करते हैं कि सांप उनकी बीन की धुन पर नाचते हैं, जबकि ऐसा नहीं हो। डॉ. इंगले की पुस्तक में स्पष्ट लिखा है कि सांप के तो कान ही नहीं होते। वह तो हवा के कंपन से प्रतिक्रिया करता है। जब कोई सपेरा सांप के सामने अपनी बीन लहराता है तो सांप भी उसे देखकर हिलता-डुलत है। इसे देखकर लोग समझते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है, लेकिन ये मान्यता भी पूरी तरह से गलत है।
कुछ लोग दो मुंह वाले सांप होने का दावा भी करते हैं जो कि पूरी तरह से गलत है। डॉ. इंगले ने अपनी पुस्तक में बताया है कि दो मुंह वाले सांप होनेकी धारणा भी पूरी तरह से गलत है। रिसर्च में पाया गया है कि कुछ सांपों की पूंछ बहुत मोटी होती है, जिससे ऐसा लगता है कि इस सांप के दोनों सिरों पर मुंह है, जबकि ऐसा होता नहीं है।
सांपों के उड़ने की बात भी काफी प्रचलित है। डॉ. इंगले के मुताबिक सांपों की एक खास प्रजाति है, जिसे क्राइसोपेलिया कहते हैं। ये सांप पेड़ों पर रहते हैं। ये सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाने के लिए अपने शरीर को फैलाकर चौड़ कर लेते हैं और जब छलांग लगाते हैं तो ऐसा लगता है कि ये उड़ रहे हैं। इन्हें छलांग लगाते देख ऐसा भ्रम होता है कि जैसे ये उड़ रहे हैं। जबकि ऐसा होता नहीं है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।