जानलेवा है इस रहस्यमयी मंदिर तक जाने का रास्ता, कहते हैं ‘नागलोक का द्वार’

Nagpanchami 2024: हमारे देश में नागदेवता के अनेक प्राचीन मंदिर हैं, इनमें से कुछ तो बहुत ही रहस्यमयी है। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के पचमड़ी में भी है। इस मंदिर को नागलोक का द्वार भी कहा जाता है।

 

Manish Meharele | Published : Aug 2, 2024 7:35 AM IST / Updated: Aug 02 2024, 01:23 PM IST
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रहस्यमयी है ये प्राचीन नाग मंदिर

Nagdwari Temple Pachmarhi: इस बार नागपंचमी का पर्व 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन प्रमुख नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देश में अनेक प्राचीन नाग मंदिर हैं, इनमें से कुछ तो बहुत ही रहस्यमयी है। ऐसा ही एक नाग मंदिर मध्य प्रदेश के पचमड़ी में भी है। ऊंचे पहाड़ों पर बना ये मंदिर हजारों सालों से लोगों के लिए आश्चर्य का विषय है। इस मंदिर को नागलोक का द्वार भी कहते हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

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खतरनाक है यहां तक जाने का रास्ता

मध्य प्रदेश के पचमड़ी में सतपुड़ा के पहाड़ पर है नागद्वारी मंदिर। हर साल नागपंचमी से 10 दिन पहले इस मंदिर के दर्शन के लिए एक यात्रा निकाली जाती है। इस बार ये यात्रा 1 अगस्त से शुरू हो चुकी है। इन 10 दिनों में लाखों भक्त इस मंदिर के दर्शन के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं क्योंकि इन पहाड़ों पर चढ़ते समय की गई थोड़ी-सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। ये यात्रा लगभग 15 किमी की है, जिसमें कईं खतरनाक मोड़, पगडंडी, सीधी चढ़ाई और जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता है।

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इसे क्यों कहते हैं मध्य प्रदेश का अमरनाथ?

नागलोक का द्वार कहे जाने वाले नागद्वारी मंदिर की यात्रा की शुरूआत नागफनी नाम के स्थान से शुरू होती है। यात्रा के दौरान सात पहाड़ों पर चढ़ना-उतरना पड़ता है। इस यात्रा को पूरा करने में लगभग 2 दिन का समय लगता है। दुर्गम चढ़ाई के कारण इस नाग मंदिर को मध्य प्रदेश का अमरनाथ भी कहा जाता है। नागद्वारी मंदिर की यह धार्मिक यात्रा करीब 100 साल से ज्यादा समय से चली आ रही है। 1999 में महादेव मेला समिति के गठन के बाद यह यात्रा थोड़ा आसान बनी है।

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क्या है इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं?

पहाड़ी के सबसे ऊपर एक 35 फीट लंबी गुफा है, इसे ही नागद्वारी मंदिर कहते हैं। यहां नागदेवता की कई मूर्तियां हैं। ये गुफा देखने में बहुत ही डरावनी लगती है। यहां से थोड़ी आगे स्वर्ग द्वार है, यहां भी नागदेव की प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। मान्यता ये भी है कि इन पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से यात्रा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

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सिर्फ 10 दिन के लिए ही क्यों होते हैं यहां दर्शन?

सावन में सिर्फ 10 दिन के लिए ही नागद्वारी मंदिर तक जाया जा सकता है। अन्य समय पर यहां जाना प्रतिबंधित है, इसके पीछे कारण है कि ये जगह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आती है। इस स्थान पर शेर-चीते आदि हिंसक पशु घूमते रहते हैं। यात्रा के दौरान स्थानीय प्रशासन द्वारा यहां पुलिस की तैनाती की जाती है, उनकी निगरानी में ही ये यात्रा पूरी होती है।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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