Navratri 2024: नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि के पहले ही दिन मिट्टी के एक बर्तन में जवारे बोए जाते हैं। ये नवरात्रि की परंपरा है। नवरात्रि के दौरान जवारे क्यों बोए जाते हैं, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है।
Navratri Mai Jaware Kyo Bote Hai: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से शुरू हो चुका है जो 11 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि से जुड़ी अनेक परंपराएं है जो हजारों सालों से चली आ रही है। ऐसी ही एक परंपरा है जवारे बोने की। नवरात्रि के पहले दिन माता स्थापना के साथ ही मिट्टी के एक बर्तन में जौ के बीज बोए जाते हैं। 9 दिन में ये काफी बड़े हो जाते हैं और 10वें दिन इनका भी विसर्जन कर दिया जाता है। इस परंपरा के पीछे वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं। जानें इन कारणों के बारे में…
जवारे है महत्वपूर्ण औषधि
आयुर्वेद में जवारों को महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है। जवारों में कईं ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे लिए बहुत फायदेमंद हैं। आयुर्वेद में जवारों के रस से कईं दवाइयां भी बनाई जाती हैं। जवारों के रस में कार्बोहाईड्रेट, विटामिन, क्षार और प्रोटीन होता है जो पीलिया, दमा, पेट दुखना, पाचन क्रिया की दुर्बलता और विटामिन ए की कमी से होने वाले रोगों को दूर करता है। आयुर्वेद शास्त्र की माने तो जवारों का रस बालों का झाड़ना, जली त्वचा के निशान मिटाने के लिए भी फायदेमंद है।
सृष्टि की पहली फसल है जौ
जौ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि ये सृष्टि की पहली फसल थी। इसका महत्व अन्य अनाजों के मुकाबले कहीं अधिक माना जाता है। अनेक पूजा-पाठ के दौरान भी जौ का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है। नवरात्रि में जौ का बोना हमें ये सीखाता है अनाज धरती मां से पैदा होने वाला प्रसाद है जो मनुष्यों के जीवन के लिए बहुत जरूरी है, हमें सदैव इसका सम्मान करना चाहिए।
जीवन-मृत्यु का रहस्य भी बताता है जौ
नवरात्रि के पहले दिन जब मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं तो ये दिखाई नहीं देते। इसका अर्थ है कि मिट्टी के कण-कण में जीवन विद्यामान है, लेकिन हम इसे सीधे तौर पर नहीं देख पाते। नवरात्रि के 9 दिनों में ये जवारे काफी बड़े हो जाते हैं जो जीवन के आगे बढ़ते रहने का प्रतीक हैं और दसवे दिन जब इनका विसर्जन किया जाता है तो ये बताते हैं कि हमारा जीवन भी एक दिन नष्ट होना तय है। हमारी अहमियत मिट्टी से ज्यादा और कुछ भी नहीं है।
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