
Sharadiya Navratri Unique Fact: धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राचीन समय में महिषासुर नाम का एक पराक्रमी दैत्य था। देवी दुर्गा ने ही उसका वध किया था। उसके वध की खुशी में ही हर साल विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। कुछ लोगों का दावा है कि वे महिषासुर के वंशज हैं। ये दावा करने वाले और कहीं नहीं बल्कि भारत के ही कुछ विशेष हिस्सों में रहते हैं। उनकी अपनी कुछ अलग मान्यताएं हैं। ये लोग नवरात्रि उत्सव नहीं मानते बल्कि इस दौरान वे शोक में रहते हैं। आगे जानिए इस क्या है इस फैक्ट से जुड़ी रोचक बातें…
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प्राप्त जानकारी के अनुसार, असम के अलीपुरदुआर जिले के माझेरबाड़ी चाय बागान इलाके में असुर जनजाति के लोग रहते हैं। इनका दावा है कि जिस राक्षस महिषासुर का वध देवी दुर्गा ने किया था, ये उसी के वंशज हैं। इसी वजह से ये नवरात्रि उत्सव नहीं मनाते बल्कि इन 9 दिनों में ये शोक मनाते हैं। झारखंड-बिहार में भी इस जनजाति के लोग रहते हैं।
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इस जनजाति के अधिकांश लोग अपने नाम के साथ असुर लिखते हैं जो इनका सरनेम है। असुर का अर्थ है राक्षस। इस जनजाति के लोग नवरात्रि के दौरान न तो नए कपड़े पहनते हैं और न ही किसी तरह का कोई उत्सव मनाते हैं। ये अपने पूर्वज और राक्षसों के राजा महिषासुर को याद कर शोक मनाते हैं। खास बात ये है कि इस जनजाति के लोग भगवान की पूजा भी नहीं करते।
इस जनजाति के लोगों की लोककथा हिंदू धर्म ग्रंथों में बताई गई कथा के बिल्कुल विपरित है। इनकी मान्यता है कि राजा महिषासुर के काल में सभी लोग बहुत खुश थे। महिलाओं का काफी सम्मान था। उनके राज्य में महिलाओं का कोई शोषण नहीं कर सकता था। महिषासुर के पराक्रम को देखकर देवता भी डरते थे, इसलिए उन्होंने देवी के हाथों महिषासुर का वध करवा दिया और इसे गलत तरीके से प्रचारित किया। इसी वजह से आज भी ये लोग देवताओं की पूजा करने से परहेज करते हैं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।