Nirjala Ekadashi 2023: इस बार निर्जला एकादशी व्रत 31 मई, बुधवार को है। धर्म ग्रंथों में इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी भी कहते हैं। इस बार निर्जला एकादशी पर कई शुभ योग होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
उज्जैन. ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) कहते हैं। इस बार ये एकादशी 31 मई, बुधवार को है। निर्जला एकादशी को साल की 24 एकादशियों में से सबसे बड़ी एकादशी कहा गया है। (Kyo Karte hai Nirjala Ekadashi Vrat) इसके पीछे एक नहीं कई कारण छिपे हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत बहुत खास है। इस व्रत को करने के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं, आगे जानिए इन तथ्यों के बारे में…
निर्जला एकादशी व्रत का धार्मिक कारण (Religious reason for Nirjala Ekadashi fast)
निर्जला एकादशी का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत को करने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती हैं। एक साल में कुल 24 एकादशी होती है, अगर भूल से इनमें से किसी भी एकादशी पर व्रत भंग हो गया तो उस दोष का परिहार निर्जला एकादशी का उपवास रखने से दूर हो जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति साल भर की एकादशी का व्रत न भी करे और सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत करे तो उसे पूरे साल की एकादशी का व्रत का फल मिल जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत का वैज्ञानिक कारण (Scientific reason for Nirjala Ekadashi fast)
निर्जला एकादशी व्रत का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है। व्रत करने से शरीर का कई तरह के लाभ होते हैं। वैसे तो सभी एकादशियों पर पानी पीने का विधान है सिर्फ निर्जला एकादशी छोड़कर। इसके पीछे कारण है कि इस एकादशी पर चंद्रमा का प्रभाव हमारे शरीर पर सबसे अधिक होता है और चंद्रमा जल तत्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। चंद्रमा का आकर्षण हमारे शरीर को प्रभावित न करे, इसलिए निर्जला एकादशी पर पानी न पीकर व्रत करने का विधान बनाया गया। विज्ञान भी ये मानता है कि व्रत करने से पेट को रोग नहीं होते और पाचन क्रिया मजबूत होती है।
निर्जला एकादशी व्रत का मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological reason for Nirjala Ekadashi fast)
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास में किया जाता है, जिस समय सूर्य देव अपने रौद्र रूप में होते हैं यानी इस समय भीषण गर्मी होती है। ऐसे समय में बीमारी से बचने के लिए पानी पीना ही सबसे सरल उपाय है। गर्मी के कारण पसीना आने से शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। इस स्थिति में स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए पानी होते हुए भी उसे न पीना आपकी संकल्प शक्ति को बढ़ाता है। साथ ही इस व्रत से हमें जल का महत्व भी पता चलता है।
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