Panchak: पंचक में हो जाए किसी की मृत्यु तो क्या करें? इस धर्म ग्रंथ में लिखा है उपाय

Panchak Myth: हिंदू धर्म में पंचक को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। इन्हीं में से एक मान्यता ये भी है कि पंचक में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होना बहुत अशुभ होता है। इस अशुभ फल से बचने के लिए कुछ खास उपाय करना चाहिए।

 

उज्जैन. हम सभी बचपन से ही पंचक के बारे में सुनते आ रहे हैं। पंचक को अशुभ समय माना जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि पंचक सिर्फ अशुभ फल ही देता है, पंचक के नक्षत्रों में शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं। (Panchak Myth) पंचक में सिर्फ कुछ खास काम करने की मनाही है। पंचक से जुड़ी कई मान्यताएं भी हैं। पंचक के संबंध में धर्म ग्रंथों में भी कई खास बातें बताई गई हैं, आज हम आपको उसी के बारे में बता रहे हैं…

क्या होता है पंचक? (Kya Hota Hai Panchak)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती इन पांचों नक्षत्रों को पंचक नक्षत्र कहा गया है। ये नक्षत्र एक के बाद एक लगातार आते हैं। इन पांच दिनों के समय को पंचक काल कहते हैं। अलग-अलग वारों से शुरू होने के कारण इनके अलग-अलग नाम भी हैं जैसे शनिवार से शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक और मंगलवार से शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहा जाता है।

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पंचक में वर्जित कार्य (Panchak Mai Kya Na Kare)
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार पंचक के समय में दक्षिण दिशा की यात्रा, लकड़ी का सामान, फर्नीचर आदि खरीदना या बनवाना, पलंग आदि बनवाना या खरीदना, घर की छत बनाना, घर- दुकान- व्यवसाय का रंग रोगन आदि कार्यों को वर्जित बताया गया है, यह कार्य करने से धन की हानि होती है और संकट उत्पन्न होते हैं।

पंचक में मृत्यु को लेकर क्या कहते हैं ग्रंथ?
पंचक में मृत्यु को लेकर कई तरह की बातें प्रचलित हैं। गरुड़ पुराण एवं मुहूर्त चिंतामणि जैसे ग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसी ग्राम या उसी मोहल्ले, उसी घर में पांच अन्य लोगों की भी मृत्यु होने की संभावना बनती है या फिर मृत्यु के समान कष्ट किन्हीं चार लोगों को सहने पड़ते हैं। ये मान्यता आज भी प्रचलित हैं। इस अशुभ फल से बचने के उपाय भी धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं।

पंचक में हो जाए किसी की मृत्यु तो क्या करें?
मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो चिता में शव के साथ आटे या कुशा से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर इन पांचों का भी शव के साथ अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।
प्रेतस्य दाहं यमदिग्गमं त्यजेत् शय्या-वितानं गृह-गोपनादि च।'- मुहूर्तचिंतामणि
गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो दाह संस्कार नक्षत्र के मध्यकाल में करें और उसमें संबंधित नक्षत्र के मंत्र की आहुतियां प्रदान करें तो भी पंचक का दोष नष्ट हो जाता है।



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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

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