Pushkar Temple: त्रिदेवों में से एक है ब्रह्मा, फिर भी पूरे भारत में इनका एक मात्र मंदिर पुष्कर में ही क्यों है?

PM Modi Rajasthan Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर में कायड़ विश्राम स्थली में जनसभा को संबोधित किया। इसके पहले उन्होंने पुष्कर (Pushkar) स्थित भगवान ब्रह्मा के मंदिर में दर्शन भी किए। 

 

उज्जैन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 31 मई, बुधवार को राजस्थान (Rajasthan) के अजमेर (Ajmer) में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए, इसके पहले उन्होंने पुष्कर (Pushkar) स्थित परमपिता ब्रह्मा के मंदिर में मत्था टेका। उल्लेखनीय है कि पूरे भारत में भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

जानें पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर का इतिहास (History of Pushkar Brahma Temple)
भगवान ब्रह्मा त्रिदेवों में से एक है। इन्होंने ही संसार की सृष्टि भी की, लेकिन इनका एकमात्र मंदिर पुष्कर में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। ये हिंदुओं के प्रमुख तीर्थों में से एक है। मान्यता है कि, ब्रह्मा जी ने यहाँ आकर यज्ञ किया था। इस मंदिर का इतिसाह काफी पुराना है। आदि शंकराचार्य ने संवत् 713 में यहां ब्रह्मदेव की मूर्ति की स्थापना की थी। पुष्कर में कई प्राचीन लेख मिले हैं जिनमें सबसे प्राचीन लगभग सन 925 का माना जाता है। मुगल तानाशाह औरंगजेब ने इसे नष्ट कर दिया था। बाद में हिंदू राजाओं द्वारा इसका पुनर्निमाण करवाया गया।

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धर्म ग्रंथों में पुष्कर तीर्थ (Pushkar pilgrimage in religious texts)
पुष्कर तीर्थ का वर्णन रामायण सहित कई धर्म ग्रंथों में मिलता है। वाल्मीकि रामायण के बालकांड के सर्ग 62 श्लोक 28 में लिखा है कि-
विश्वामित्रोsपि धर्मात्मा भूयस्तेपे महातपाः।
पुष्करेषु नरश्रेष्ठ दशवर्षशतानि च।।
यानी विश्वामित्र ने पुष्कर तीर्थ में तपस्या की थी। इस तीर्थ का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है।

पुष्कर में ही क्यों है भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर? (Why is there only one temple of Lord Brahma in Pushkar?)
त्रिदेवों में से एक होने के बाद भी ब्रह्मदेव का एक मात्र मंदिर पुष्कर में स्थित है। इसेक पीछे एक कथा है जो इस प्रकार है- पौराणिक काल में वज्रनाश नाम का एक महाभयंकर राक्षस था। जब ब्रह्माजी ने उसका वध किया तो उनके हाथों से तीन स्थानों पर पुष्प गिरा, इन स्थानों पर तीन झीलें बन गई। पुष्प गिरने के कारण ही इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। भगवान बह्मा ने यज्ञ करने के लिए इसी स्थान को चुना। जब यज्ञ की पूर्णाहुति होने वाली थी, उस समय देवी सरस्वती वहां उपस्थित नहीं थी, तब ब्रह्मदेव ने गाय के मुख से उत्पन्न देवी गायत्री से विवाह कर इस यज्ञ को पूर्ण किया। अपने स्थान पर किसी और को देख देवी सरस्वती क्रोधित हो गई। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि संसार में सिर्फ इसी एक स्थान पर आपकी पूजा और अन्यत्र कहीं नहीं। यही कारण है कि पुष्कर में ही ब्रह्मदेव का एक मात्र मंदिर है।

52 घाट है पुष्कर सरोवर पर (How many ghats are there at Pushkar Sarovar?)
पुष्कर को तीर्थराज भी कहा जाता है। यहां स्थित पुष्कर सरोवर के चारों ओर कुल 52 घाट बने हुए हैं। इन 52 घाटों का अलग-अलग महत्व है। ये घाट अलग अलग राजपरिवारों, पंडितों और समाजों द्वारा बनवाये गए हैं। इनमें गऊ घाट, ब्रह्म घाट, वराह घाट, बद्री घाट, सप्तर्षि घाट, तरणी घाट सहित अन्य प्रमुख घाट हैं। दूर-दूर से लोग इस सरोवर में स्नान करने आते हैं। पुष्कर में हर साल विश्व प्रसिद्ध मेला भी लगता है, जिसे देखने विदेश से भी लोग यहां आते हैं।



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