PM Modi In Kanyakumari: 1 जून तक ‘कन्याकुमारी’ में रहेंगे PM मोदी, क्यों खास है ये जगह, कैसे पड़ा इसका ये नाम?

PM Modi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 जून को कन्याकुमारी पहुंचें और यहां उन्होंने देव दर्शन भी किए। मोदी 1 जून तक यहीं रहेंगे और विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे का ध्यान करेंगे।

 

Manish Meharele | Published : May 31, 2024 3:58 AM IST

PM Modi Meditate In Kanyakumari: लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर है। इस दौरान 30 मई, गुरुवार को वे कन्याकुमारी पहुंचें। यहां उन्होंने सबसे पहले उन्होंने भगवती अम्मन मंदिर में पूजा की फिर वे ध्यान मंडपम पहुंचे। तय कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 जून तक कन्याकुमारी में ही रहेंगे और विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे का ध्यान करेंगे। कन्याकुमारी क्यों प्रसिद्ध है और इसका ये नाम कैसे पड़ा आगे जानिए…

इसलिए नाम पड़ा कन्या कुमारी
दंत कथाओं के अनुसार, बाणासुर नाम का एक असुर था, उसे भगवान शिव ने वरदान दिया था कि उसका वध कुंवारी कन्या के हाथों ही हो सकेगा। उस समय भरत नाम के एक राजा थे, उनकी 8 पुत्री और एक पुत्र था। उन्होंने अपने राज्य को अपनी सभी संतानों में बांट दिया। दक्षिण का यह हिस्सा उनकी पुत्री कुमारी को मिला। कुमारी देवी शक्ति का अंश थी। उन्होंने यहां शिवजी को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की और बाणासुर का वध भी किया। उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम कन्या कुमारी पड़ा।

यहां है प्रसिद्ध शक्तिपीठ
कन्याकुमारी में एक शक्तिपीठ है, मान्यता है कि इसी स्थान पर बैठकर एक पैर पर खड़े होकर देवी कुमारी ने तपस्या की थी। यहां देवी के पैरों के निशान भी हैं। वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि इस स्थान पर देवी सती की पीठ गिरी थी। यह शक्तिपीठ एक टापू पर है, जो चारों ओर से जल से घिरा हुआ है। इस मंदिर को देवी कुमारी मंदिर, कुमारी अम्मन मंदिर और भगवती अम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

कुंवारी स्वरूप में होती है पूजा
भगवती कुमारी अम्मन मंदिर में आदिशक्ति की पूजा एक किशोरी यानी कुंवारी कन्या के रूप में की जाती है। इन्हें देवी कन्याकुमारी, श्री बाला भद्रा, श्री बाला और देवी कुमारी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान परशुराम ने की थी, जो विष्णु के छठे अवतार थे।


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