सार

Kab Hai Shani Jayanti 2024: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर सूर्यपुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन शनिदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

 

shanidev ki puja mai kya sawdhani rakhe: ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है यानी मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही उसे देते हैं। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 6 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन शनिदेव की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, शनिदेव की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखन चाहिए नहीं तो शनिदेव नाराज हो सकते हैं। आगे जानिए कौन-सी हैं वो बातें…

ठीक सामने खड़े होकर दर्शन न करें
जब भी किसी मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने जाएं तो प्रतिमा के ठीक सामने कभी भी खड़े न हों। कहते हैं कि शनिदेव की नजर जिस पर भी पड़ती है, उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। इसलिए हमेशा एक तरफ खड़े होकर ही शनिदेव के दर्शन करें। पूजा करते समय भी इस बात का विशेष ध्यान रखें।

अशुद्ध अवस्था में पूजा न करें
शनिदेव की पूजा कभी भी अशुद्ध अवस्था में न करें नहीं तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अशुद्ध अवस्था से अर्थ है बिना नहाए, गंदे वस्त्र पहने या मुंह में पान-गुटका चबाते हुए। शनिदेव की पूजा में शुद्धता का पूर्ण रूप से ध्यान रखें।

शुद्धतापूर्वक बनाया गया भोग लगाएं
शनिदेव का भोग भी शुद्धतापूवर्क तैयार किया हुआ होना चाहिए। यानी बाजार से लाकर कोई भी चीज शनिदेव को न चढ़ाएं। घर में शुद्ध होकर यानी नहाकर शनिदेव के लिए भोग तैयार करें। ऐसा करना संभव हो तो बाजार से फल लाकर भोग लगा सकते हैं। लेकिन इसके पहले फलों को भी साफ पानी से धो लें।

शनिदेव की प्रतिमा को स्पर्श न करें
शनिदेन की पूजा के दौरान प्रतिमा को स्पर्श न करें। शनिदेव की पूजा में प्रतिमा का स्पर्श करने पर मनाही है। जो व्यक्ति शनिदेव की प्रतिमा का स्पर्श करता है, निकट भविष्य में उसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, ऐसा विद्वानों का मत है।


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