Ram Mandir Ayodhya: कौन थे गिद्धराज ‘जटायु’, अयोध्या के कुबेर टीले पर स्थापित की गई जिनकी प्रतिमा?

Published : Jan 05, 2024, 03:56 PM IST
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सार

Jatayu statue Ayodhya: 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होगा। इस मंदिर के पास ही कुबेर टीले पर गिद्धराज जटायु की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। गिद्धराज जटायु के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। 

Interesting Facts Related To Jatayu: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। राम मंदिर के आस-पास के क्षेत्र का भी कायाकल्प राम जन्मभूमि न्यास द्वारा किया गया है। राम मंदिर पास स्थित कुबेर टीले पर गिद्धराज जटायु की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है। जटायु कौन थे, जिसके पुत्र थे, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। आगे जानें गिद्धराज जटायु से जुड़ी खास बातें…

रामायण में जटायु का वर्णन (Who was Jatayu in Ramayana)
महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसी दास द्वारा लिखी गई रामायण में जटायु के वर्णन है। इन ग्रंथों में जटायु को गिद्धराज भी कहा गया है। जटायु पंचवटी के पास जंगल में निवास करते थे। श्रीराम ने वनवास के 10 साल पंचवटी में ही बिताए। जब रावण ने पंचवटी से सीता का हरण किया तो जटायु ने उसे रोकना का बहुत प्रयास किया, लेकिन रावण ने उनके पंख काट दिए। सीता हरण के बारे में जटायु ने ही श्रीराम को बताया। जटायु की मृत्यु होने पर श्रीराम ने ही उनका दाह संस्कार भी किया।

किसके पुत्र थे जटायु? (Whose son was Jatayu in Ramayana?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रजापति कश्यप के दो पुत्र थे गरुड़ और अरुण। गरुड़देव भगवान विष्णु के वाहन बने और अरुण सूर्यदेव के सारथी बन गए। जटायु अरुण की ही संतान थे, जटायु के भाई का नाम संपाति था। एक बार जटायु और संपाति में सूर्य तक पहुंचने की शर्त लगी। दोनों आकाश में बहुत ऊंचे बहुत गए तो जटायु सूर्य का ताप सहन नहीं कर सके, तब संपाति ने उन्हें अपने पंखों से ढंककर बचा लिया। इससे संपाति के दोनों पंख जल गए और वे समुद्र दोनों बेहोश होकर अलग-अलग स्थानों पर गिर गए।

प्रधानमंत्री मोदी करेंगे जटायु प्रतिमा का अनावरण
अयोध्या राम मंदिर के निकट कुबेर टीले पर जटायु की कांसे से बनी विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी 2024 को करेंगे। कहा जा रहा है कि ये प्रतिमा इन लोगों की याद में बनाई गई है, जिन्होंने राम मंदिर बनाने में अपने प्राणों की आहुति दी है।


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