Ram Mandir Ayodhya: मंदिर के शिखर पर ध्वज क्यों जरूरी? जानें उज्जैन के ज्योतिषाचार्य से

Published : Nov 21, 2025, 09:40 AM IST
Ram Mandir Ayodhya

सार

Ram Mandir Ayodhya: 25 नवंबर को अयोध्या के राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ध्वजारोहण करेंगे यानी इसके शिखर पर ध्वज फहराएंगे। मंदिर में ध्वज को लेकर धर्म ग्रंथों में अनेक बातें बताई गई हैं और इससे जुड़े रोचक फैक्ट्स भी हैं।

Ram Mandir Ayodhya flag hoisting: अयोध्या के राम मंदिर में 25 नवंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्म ध्वज की स्थापना करेंगे। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। ये ध्वज लगभग ढाई किलो वजनी बताया जा रहा है। इसे फहराने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल करने की बात भी की जा रही है। धर्म ग्रंथों में मंदिर में लगने वाले ध्वज का विशेष महत्व बताया गया है। इसे लगाने और उतारने के भी खास नियम हैं। इसे मंदिर जितना ही पूजनीय माना जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से जानिए मंदिर में ध्वज का होना क्यों जरूरी है…

ये भी पढ़ें-
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर में 25 नवंबर को ही धर्म ध्वज की स्थापना क्यों?

बिना ध्वज का मंदिर संपूर्ण नहीं

विद्वानों के अनुसार कोई भी मंदिर तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक उसके शिखर पर ध्वज न लगाया जाए। मंदिर पर स्थापित ध्वज उस मंदिर में विराजमान देवता और उनके स्वरूप के बारे में भी संकेत देता है। कुछ मंदिरों में ऐसा खास ध्वज स्थापित किया जाता है, जिसे देखकर ये अनुमान लगाना आसान हो जाता है कि इस मंदिर में कौन से देवता विराजित है।

ये भी पढ़ें-
कितना लंबा-चौड़ा और वजनदार है अयोध्या राम मंदिर पर लगने वाला ध्वज?

मंदिर के ध्वज पर होते हैं खास निशान

मंदिर के ध्वज पर देवताओं के वाहन, शस्त्र व अन्य चीजों के निशान भी बने होते हैं जैसे देवी मंदिर में त्रिशूल का चिह्न वाले ध्वज की स्थापना की जाती है, शिव मंदिर के ध्वज पर नंदी का निशान होता है, वहीं भगवान विष्णु के मंदिर के ध्वज पर सुदर्शन चक्र होता है। इसी तरह माता काली या भैरव मंदिर पर काली ध्वजा व श्रीकृष्ण मंदिर में पीली ध्वजा स्थापित की जाती है।

मंदिर में ध्वज का महत्व

नारद पुराण अनुसार मंदिर के शिखर पर लगे हुए ध्वज की छाया जहां-जहां तक पड़ती है उस स्थान पर कलयुग का निवास नहीं होता। इसलिए ये स्थान परम पवित्र माना गया है। इस स्थान पर किए गए यज्ञ, हवन और पूजा आदि का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। पहले के समय में मंदिर में या इसके आस-पास ही लोग विवाह आदि मांगलिक कार्य भी इसलिए करते थे।

मंदिर में ध्वज का होना क्यों जरूरी?

धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार जिस मंदिर के शिखर पर ध्वजा नहीं होती उस मंदिर में देवता की जगह असुरों का निवास माना जाता है। ऐसे मंदिर में पूजा, यज्ञ आदि का पूरा फल नहीं मिलता। यही कारण है कि हर मंदिर के शिखर पर ध्वजा स्थापित की जाती है। इसे धर्म ध्वजा कहते हैं, जिसका अर्थ है ये ध्वज सनातन धर्म का प्रतीक है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Hindu Panchang: शुरू हुआ हिंदू पंचांग का दसवां महीना, जानें क्या है नाम, कब तक रहेगा?
Sunderkand: रामचरित मानस के सुंदरकांड में ‘सुंदर’ किसका नाम है, क्या आप जानते हैं?