घर में कईं महत्वपूर्ण स्थान होते हैं, किचन यानी रसोई घर भी इनमें से एक है। ये वो स्थान होता है जो अच्छे और बुरे दोनों फल प्रदान करता है। घर के हर सदस्य को ये स्थान प्रभावित करता है।
सनातन धर्म में भोजन बनाने के कईं नियम हैं। ये नियम न सिर्फ हमें बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करते हैं बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी लाते हैं। यदि भोजन में कोई दोष हो तो उसका निगेटिव असर सभी लोगों पर होता है इसलिए किचन में वास्तु का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। आज-कल महिलाएं घर के सदस्यों के अनुसार, गिनकर रोटियां बनाती हैं। ये तरीका प्रेक्टिकल रूप से जरूर सही है लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। आगे जानिए क्यों गिनकर रोटियां नहीं बनानी चाहिए…
क्यों गिनकर न बनाए रोटियां?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, हर घर में गेहूं के आटे से ही रोटी बनाई जाती है। गेहूं सूर्यदेव का कारक है। सूर्य के शुभ प्रभाव से हमें अपनी लाइफ में मान-सम्मान और कई तरह से सुख भी प्राप्त होते हैं। कहते हैं कि यदि रोटियां गिनकर बनाई जाए तो इससे सूर्यदेव का अपमान होता है। ऐसा करने से भविष्य में हमें कईं समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ये हैं रोटी बनाने का नियम
सनातन धर्म में रोटी बनाने के भी खास नियम हैं। उसके अनुसार, पहली रोटी गाय को देनी चाहिए। जिस घर में ऐसा रोज होता है, वहां कभी अन्न की कमी नहीं होती और अनाज के भंडार भरे रहते हैं। घर के अन्य सदस्यों के अलावा 1 या 2 रोटी घर आने वाले भिक्षुकों के लिए भी बनानी चाहिए। अंतिम रोटी कुत्ते को खिलानी चाहिए।
इस बात का भी रखें ध्यान
घर के सदस्यों, गाय, भिक्षुक और कुत्ते की रोटी देने के बाद भी एक व्यक्ति के लिए अलग से भोजन बनाकर रखना चाहिए। ये भोजन घर आने वाले अतिथि के लिए बनाया जाता है। अतिथि बिना बताए कभी भी हमारे घर आ सकते हैं। ऐसे में उनके लिए भोजन का प्रबंध करना हमारी जिम्मेदारी होती है।
ये भी पढ़ें-
Nature Acording To Eye Shape: कैसा होता है नशीली आंखों वाले लोगों का नेचर? जानें दिलचस्प बातें
Jagannath Rath Yatra 2024: रथयात्रा से पहले बीमार क्यों हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ?
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।