Sankashti Chaturthi Today: 2 अक्टूबर को करें संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि और चंद्रमा उदय होने का समय

Published : Oct 02, 2023, 08:45 AM IST
sankasti chaturthi 2023

सार

Sankashti Chaturthi 2023: प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी क व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजा की जाती है। इसे संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2023) कहते हैं। इस बार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 अक्टूबर, सोमवार को है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। ये श्राद्ध पक्ष की चतुर्थी है, इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा है। आगे जानिए संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

ये है चंद्रोदय का समय (Chandrodaya Time 2 October 2023)
02 अक्टूबर, सोमवार को भरणी नक्षत्र शाम 06.46 तक रहेगा, इसके बाद कृत्तिका नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। सोमवार को पहले भरणी नक्षत्र होने से चर और इसके बाद कृत्तिका नक्षत्र होने से सुस्थिर नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इस दिन चन्द्रोदय रात 08:05 पर होगा, इसके पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर लें और चंद्रमा उदय होने पर अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करें।

इस विधि से करें संकष्टी चतुर्थी की पूजा (Sankashti Chaturthi October 2023 Puja Vidhi)
2 अक्टूबर, सोमवार को व्रत-पूजा का संकल्प लें। पूरे दिन कम बोलें, बुरे विचार मन में न लाएं। शाम को चंद्रमा उदय होने से पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। फिर कुंकम से तिलक करें, फूल माला पहनाएं। भगवान श्रीगणेश को भोग लगाएं। दूर्वा भी चढ़ाएं। पूजा के दौरान श्रीगणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। चंद्रमा उदय हो तो जल से अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें।

गणेशजी की आरती (Ganesh ji Ki Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


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