Published : Jul 24, 2025, 02:49 PM ISTUpdated : Jul 24, 2025, 03:00 PM IST
Sawan Belpatra: सावन का पवित्र महीना चल रहा है। महादेव की पूजा करने के लिए हर कोई शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करता हुआ दिखाई दे रहा है। जानिए सबसे पहले किसने की थी शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की शुरूआत।
भगवान शिव की पूजा में सबसे खास होता है बेलपत्र। कई ग्रंथों में बेलपत्र का उल्लेख किया गया है। खासतौर पर बताया गया है कि बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा पूरी तरह से अधूरी है, इसीलिए जब भी भगवान शिव की पाठ-पूजा की जाती है, उस सामग्री में बेलपत्र जरूर शामिल होता है। इन सबके बीच हर किसी के मन में ये सवाल कभी न कभी तो जरूर उठता होगा कि आखिर पहली बार शिवलिंग पर किसने बेलपत्र चढ़ाया होगा? ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। उस वक्त सबसे पहले माता पार्वती ने शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया था।
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समुद्र मंथन
भगवान शिव को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है इसके पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है। जब समुद्र मंथन से विष निकला था, उसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था। ऐसे में सभी देवी-देवताओं ने मिलकर भोलेनाथ को बेलपत्र खिलाना शुरू कर दिया, क्योंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है। इसका सेवन करने से महादेव को शांति मिलने लगी थी। इसके बाद से ही शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए जाने की परम्परा शुरू हो गई है। अब महादेव से जुड़े हर त्योहार पर बेलपत्र उन्हें चढ़ाया जाता है।
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तीन पत्तियों का महत्व
बहुत कम लोगों को ये पता है कि बेलपत्र में जो तीन पत्तियां होती हैं, वो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक मानी जाती है। साथ ही इसे भगवान शिव के तीन नेत्रों और त्रिशूल के साथ भी जोड़ा जाता है। इतना ही नहीं बेलपत्र की तीनों पत्तियां ज्ञान, शक्ति और इच्छाशक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
इस बात का ध्यान रखने की बेहद जरूरत है कि बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, सोमवार, संक्रांति, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो महादेव आपसे क्रोधित हो सकते हैं। इसीलिए जब भी बेलपत्र तोड़े तो तिथियों का ध्यान अवश्य रखें। आप चाहे तो रविवार के दिन बेलपत्र तोड़कर रख सकते हैं।
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बेलपत्र से स्नान
वैसे यदि आप पानी में बेलपत्र डालकर नहाते हैं तो इससे शारीरिक शुद्धि प्राप्त होती है। आपने जो कुछ भी पाप किए होते हैं वो भी नष्ट हो जाते हैं। बेलपत्र वाले पानी से नहाने पर कभी बीमारियाँ भी नहीं लगतीं। साथ ही उम्र भी बढ़ती है।