Holi 2023: विज्ञान के नजरिए से जानें क्यों मनाते हैं होली, क्या हैं इस त्योहार से जुड़े फायदे?

Published : Mar 02, 2023, 06:00 AM ISTUpdated : Mar 02, 2023, 08:19 AM IST
Holi-2023-celebration-scientific-reason

सार

Holi 2023: हिंदू धर्म में हर त्योहार से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपरा हैं। होली भी इन त्योहारों में से एक है। होलिका दहन का तो धार्मिक महत्व है लेकिन रंग और गुलाल लगाने के पीछे भी एक वैज्ञानिक सोच है, जिसके बारे में कम ही लोगों को पता है। 

उज्जैन. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि पर लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर धुरेड़ी (होली) पर्व मनाते हैं। (Holi 2023)इस बार होलिका दहन 7 मार्च को और धुरेड़ी 8 मार्च को है। होलिका दहन का महत्व तो धर्म ग्रंथों में बताया गया है, लेकिन धुरेड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है। (Why Celebrate Holi ) इसके पीछे हमारे पूर्वजों की वैज्ञानिक सोच है, लेकिन बहुत ही कम लोग इसके बारे में जानते हैं। आगे विज्ञान के नजरिए से जानें क्यों खेलते हैं होली…

ये मौसम बढ़ाता है बीमारियां
होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस समय शिशिर ऋतु की समाप्ति होती है और वसंत ऋतु का आगमन होता है। दूसरे रूप में देखें तो इस समय मौसम की ठंडक का अंत होता है और सुहानी धूप मन को भाने लगती है। 2 ऋतुओं का ये संधिकाल हमारी सेहत के लिए ठीक नहीं होता क्योंकि सुबह-शाम की ठंडक और दिन की गर्मी हमें बीमार कर सकती है। इसका सबसे ज्यादा निगेटिव प्रभाव बच्चों पर होता है।

इस मौसम में होते हैं शीतजन्य रोग
आयुर्वेद के अनुसार शिशिर ऋतु में शीत के प्रभाव से शरीर में कफ की अधिकता रहती है और बसंत ऋतु के शुरू होने पर जब तापमान बढ़ने लगता है तो कफ के शरीर से बाहर निकलने की क्रिया में दोष पैदा होता है, जिसके चलते सर्दी, खांसी, सांस की बीमारियों के साथ ही अन्य संक्रामक रोग जैसे खसरा, चेचक आदि होते हैं। इसके अलावा मौसम का मध्यम तापमान शरीर में भी आलस्य पैदा करता है।

इसलिए मनाते हैं होली उत्सव
होली उत्सव के अंतर्गत आग जलाई जाती है, उसकी परिक्रमा की जाती है। एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाया जाता है और नाच-गाना भी होता है। अग्नि के जलने से जहां बैक्टीरिया और वायरस खत्म होते हैं, वहीं नाच-गाकर होली उत्सव मनाने से शरीर में आलस्य नहीं आता। इन सभी क्रिया-कलापों से शरीर की ऊर्जा और स्फूर्ति कायम रहती है। साथ ही साथ शरीर भी स्वस्थ रहता है। होली उत्सव मनाने के पीछे हमारे ऋषि-मुनियों का इतनी गहन सोच छिपी है।


ये भी पढ़ें-

Holashtak 2023: पूरे देश में नहीं बल्कि कुछ क्षेत्रों में ही रहता है होलाष्टक का अशुभ प्रभाव


Holi Upay 2023: होलिका दहन की रात करें ये 5 उपाय, बच सकते हैं पितृ दोष और ग्रहों के अशुभ प्रभाव से


Holi 2023 Calendar: When is Holi in India जानें कब है लट्ठमार होली, रंगभरी ग्यारस, धुरेड़ी और रंग पंचमी?


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

PREV

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi 2025: कब होगा अखुरथ चतुर्थी का चंद्रोदय? जानें टाइम
Aaj Ka Panchang 7 दिसंबर 2025: 2 ग्रह बदलेंगे राशि, बनेंगे 4 शुभ योग, जानें राहुकाल का समय