Shani Jayanti 2023: क्यों मनाते हैं शनि जयंती का पर्व, कैसे अपने पिता सूर्य के शत्रु बने शनिदेव?

Shani Jayanti 2023: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 19 मई, शुक्रवार को है। शनि जयंती का पर्व क्यों मनाते हैं, इसे लेकर कई मान्यताएं प्रचलित है।

 

Manish Meharele | Published : May 8, 2023 9:37 AM IST

उज्जैन. इस बार शनि जयंती (Shani Jayanti 2023 Date) का पर्व 19 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि रहेगी। शनि जयंती का पर्व इसी तिथि पर क्यों मनाया जाता है, इस बात को लेकर भी कई मान्यताएं हैं। शनिदेव सूर्य के पुत्र हैं, लेकिन इसके बाद भी ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के शत्रु कहलाते हैं। इस मान्यता के पीछे भी कई कथाएं जुड़ी हैं। आज हम आपको शनिदेव से जुड़ी इन्हीं मान्यताओं और कथाओं के बारे में बता रहे हैं…

क्यों मनाते हैं शनि जयंती? (Why celebrate Shani Jayanti?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान सूर्यदेव का विवाह देवताओं का शिल्पी विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ था। संज्ञा से सूर्यदेव को यम नाम का पुत्र और यमुना नाम की कन्या हुई। लेकिन संज्ञा अपने पति सूर्यदेव के तेज से हमेशा परेशान रहती थी। तब एक दिन संज्ञा ने अपनी परछाई छाया को सूर्यदेव की सेवा में छोड़ दिया और स्वयं दूर चली गई। छाया के गर्भ से ही शनिदेव उत्पन्न हुए। उस दिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि थी। इसलिए इस तिथि पर हर साल शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है।

क्यों अपने पिता सूर्य के शत्रु हैं शनिदेव? (Why Shani Dev is the enemy of his father Surya?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब सूर्यदेव को पता चली कि उनकी पत्नी संज्ञा अपनी छाया को छोड़कर स्वयं कहीं चली गई है तो उनका व्यवहार छाया के प्रति बदल गया। छाया का पुत्र होने के कारण शनिदेव का रंग अत्यंत काला था, जिसे देखकर सूर्यदेव उनसे भी दूरी बनाकर रहने लगे और उन्हें पिता का स्नेह नहीं दिया। (Shanidev Birth Story) जब ये बात शनिदेव को पता चली तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए और अपने पिता सूर्यदेव को ही अपना शत्रु मानने लगे। यही मान्यता आज भी कायम है कि शनि और सूर्य एक-दूसरे से शत्रुता रखते हैं।

शनिदेव को कैसे मिला न्यायाधीश का पद?
जब शनिदेव को पता चला कि उनके पिता सूर्य उन्हें स्नेह नहीं करते हैं तो उन्होंने शिवजी को तपस्या करनी शुरू की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए और शनिदेव से वरदान मांगने को कहा। शनिदेव के कहने पर शिवजी ने उन्हें तीनों लोकों के जीवित प्राणियों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देने के लिए नियुक्त किया। इसी के चलते शनिदेव न्यायाधीश कहलाए।


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