
Kis Sabji Ki Dete Hai Bali: नवरात्रि से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। पशु बलि भी इन परंपराओं में से एक है। अनेक देवी मंदिरों में नवरात्रि के दौरान पशु बलि दी जाती है। लेकिन कुछ स्थानों पर सात्विक बलि देने की परंपरा है। इस परंपरा के अंतर्गत एक खास सब्जी की बलि दी जाती है। मान्यता है कि सब्जी की बलि को भी मां पशु बलि के रूप में स्वीकार करती हैं और साधक की हर इच्छा पूरी करती है। आगे जानिए कौन-सी हैं सब्जी और क्यों देते हैं इनकी बलि…
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देश में कई स्थानों पर परंपरा के अनुसार कोहढ़ा जिसे कद्दू भी कहते हैं की बलि देने की परंपरा है। खास बात ये है कि बलि देने के लिए पीले नहीं बल्कि भूरे कद्दू का उपयोग किया जाता है। ये कद्दू के पकने से पहले की अवस्था होती है। इसका रंग हल्का भूरा होता है। तंत्र-मंत्र आदि उपायों में भी भूरे कद्दू का ही उपयोग किया जाता है। ये परंपरा काफी प्राचीन है।
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तंत्र-मंत्र में कद्दू की बलि पशु बलि के समान ही फल देने वाली मानी गई है। ऐसा भी कहते हैं कद्दू घर के बड़े बेटे के समान होता है। प्राचीन समय में नर बलि को रोकने के लिए विद्वानों ने इस तरह की नई व्यवस्था शुरू की जिसमें भूरे कद्दू की बलि देवी को दी जाने लगी। ये परंपरा आज भी जारी है। नवरात्रि के दिनों में आपने देवी मंदिर व चौराहों पर भूरे कद्दू कटे हुए जरूर देखें होंगे। ये बलि का ही स्वरूप होते हैं।
हिंदू धर्म में एक मान्यता ये भी है कि पूरे कद्दू को महिलाएं कभी नहीं काटतीं। पूरे कद्दू को काटना बलि देने जैसा माना जाता है इसलिए पहले पुरुष कद्दू को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटते हैं, बाद में महिलाएं इन्हें सब्जी बनाने के लिए उपयोग में लेती हैं। इसका कारण है कि हिंदू धर्म में महिलाओं के बलि देने वाल रोक है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।